Saturday 31 October 2015

श्री बाण माताजी मंदिर बिरामी ( पाली , राज.)

श्री बाण माताजी ( भुवाल माता ) मंदिर बिरामी ( पाली , राज.)
पाली जिले के बिरामी गाँव में भुवाल माता के नाम से विख्यात माँ बायण और माँ काली का विश्व विख्यात मंदिर है ।
यहाँ माँ ब्राह्मणी को मीठा भोग लगता है , जबकि माँ काली को ढ़ाई प्याला मदिरा चढ़ता है ।
प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार माँ काली खुद मदिरा पुजारी के हाथ से पीती है ।
इस मंदिर में विराजमान माँ ब्राह्मणी और माँ काली के दर्शन हेतु हजारो भक्त नित आते है और अपनी मन छाए वरदान प्राप्त करते है ।
बोलो बाणेश्वरी मात की जय
बोलो काली मात की जय

काली का संग में , बेठी बिरामी माय ।
मिठो भोग भवानी रे , भुवाल माँ ओळखाय ।।

जय माँ बायण जय एकलिंग जी जय खेतलाजी

Wednesday 28 October 2015

Chilay Mata Kuldevi Of Tanwar Rajput's

तँवर वँश की कुलदेवी
तु संगती तंवरा तणी चावी मात चिलाय!
म्हैर करी अत मातथूं दिल्ली राज दिलाय!!
तँवर वँश की कुलदेवी चिलाय माता है। इतिहास में तँवरो की कुलदेवी के अनेक नाम मिलते हैं जैसे चिलाय माता, जोग माया (योग माया), योगेश्वरी (जोगेश्वरी), सरूण्ड माता, मन्सादेवी आदि।
दिल्ली के इतिहास में तँवरो की कुलदेवी का नाम योग माया मिलता है, तंवरो के पुर्वज पांडवो ने भगवान कृष्ण की बहन को कुलदेवी मानकर इन्द्रप्रस्थ में कुलदेवी का मंदिर बनवाया और उसी स्थान पर दिल्ली के संस्थापक राजा अनंगपाल प्रथम ने पुनः योगमाया के मंदिर का निर्माण करवाया।
इसी मंदिर के कारण तवरो की राजधानी को योगिनीपुर भी कहा गया, जो महरौली के पास स्थित है।
तोमरों की अन्य शाखा और ग्वालियर के इतिहास में तँवरो की कुलदेवी का नाम योगेश्वरी ओर जोगेश्वरी भी मिलता है। एसा माना जाता है कि योगमाया( जोग माया) को ही बाद में योगेश्वरी, जोगेश्वरी बोलने लग गये।
तोरावाटी के तंवर कुलदेवी के रूप में सरूण्ड माता को पुजते है।पाटन के इतिहास मे पाटन के राजा राव भोपाजी तँवर द्वारा कोटपुतली के पास कुलदेवी का मंदिर बनवाने का विवरण मिलता है जहाँ पहले अग्यातवास के दोरान पांडवो ने योगमाया का मंदिर बनाया था।
यह मंदिर अरावली श्रंखला की पहाड़ी पर स्थित है ! मंदिर परिसर मैं उपलब्ध शिलालेख के आधार पर 650 फुट ऊँचा मंदिर एक छत्री(चबूतरा)मैं स्थित है! इस छत्री के चार दरवाजे है उसके अन्दर माता जी विराजमान है! छत्री के बाद का मंदिर 7 भवनों वाला है! मंदिर का मुख्या मार्ग दक्षिण मैं व माता का नीज मंदिर का द्वार पश्चिम मैं हैं! इस मंदिर मैं माता का 8 भुजावाला आदमकद स्वरुप स्थित है! स्थम्भो व दीवारो पर वाम मार्गियों व तांत्रिको की मूर्तियाँ की मोजुदगी इनका प्रभाव दर्शाती है! मदिर मैं माता को पांडवो द्वारा सतापित के साक्ष्य छत्री मैं स्थित हैं! मदिर की परिक्रमा मैं चामुंडा की मूर्ति है जो आज भीसुरापान करती है! मंदिर की छत्री मैं जो लाल पत्थर है वो 5 टन का है! मंदिर पीली मिट्टी से बना हुआ है पर कई से भी चूता नहीं है! मंदिर तक पहुचने के लिए 282 सीढियाँ है! इनके मध्य मैं माता की पवन चरण के निशान हैं! यहाँ 52 भेरव व 64 योग्नियाँ है ! सरुन्द देवी की पहाड़ी से सोता नदी बहती है जिसके पास एशिया प्रसिद्ध बावड़ी है जो बिना चुने सीमेन्ट से बनी हुए है ! यह दवापर युग मैं पाङ्वो द्वारा 2500 चट्टानों से बनाई गई थी।
योग माया का मंदिर सरूण्ड गांव में स्थित होने से इसे सरूण्ड माता भी बोलते हैं।
तंवरो के बडवाजी(जागाजी) के अनुसार तंवरो की कुलदेवी चिलाय माता है।
जाटू तंवरो ओर बडवो की बही के अनुसार तँवरो की कुलदेवी ने चिल पक्षी का रूप धारण कर राव धोतजी के पुत्र जयरथजी के पुत्र जाटू सिंहजी की बाल अवस्था में रक्षा की थी जिसके कारण माँ जोगमाया को चिलाय माता बोलने लगे।
इतिहास कारो के अनुसार कुलदेवी का वाहन चिल पक्षी के होने कारण यह चिल, चिलाय माता कहलाई। राजस्थान के तंवर चिलाय माता कोही कुलदेवी मानते हैं। लेकिन चिलाय माता के नाम से कोई भी पुराना मंदिर नहीं मिलता है।
दो मदिरो का विवरण मिलता है जो चिलाय माता के मदिर है। जाटू तंवर और पाटन का इतिहास पढने पर पता चलता है कि 12 वी सताब्दी मे जाटू तंवरो ने खुडाना में चिलाय माता का मंदिर बनाया था ओर माता द्वारा मन्सा पुर्ण करने के कारण आज उसे मन्सादेवी के नाम से जानते हैं।
एक और मदिर का विवरण मिलता है जो पाटन के राजाओ ने 14 वी शताब्दी में गुडगाँव मे चिलाय माता का मंदिर बनवाया और ब्राह्मणों को माता की सेवा के लिए नियुक्त किया। लेकिन 17 वी शताब्दी के बाद पाटन के राजा द्वारा माता के लिए सेवा जानी बन्द हो गयी ओर आज स्थानीय लोग चिलाय माता को शीतला माता समझ कर शीतला माता के रूप में पुजते है।
विभिन्न स्त्रोतों और पांडवो या तंवरो द्वारा बनवाये गये मंदिर से यही प्रतीत होता है कि तोमर (तँवर) की कुलदेवी माँ योगमाया है जो बाद में योगेश्वरी कहलाई। माता का वाहन चिल पक्षी होने के कारण और कुलदेवी ने चिल का रूप धारण कर जाटू सिंहजी की बाल अवस्था में रक्षा की थी जिसके कारण यह आज चिलाय माता के नाम से जानी जाती है।

जय माँ बायण जय एकलिंग जी

Tuesday 27 October 2015

श्री ब्राह्मणी माताजी और भेरूजी चित्तोड़

श्री ब्राह्मणी माताजी चित्तौड़गढ़
जहां माँ बायण अपने बेटे श्री खेतलाजी महाराज के साथ बिराजमान है ...
चित्तोड़ माँ बायण के दर्शन के लिए पधारो तो माँ के साथ खेतलाजी प्रभु के दर्शन करना जरुरी है , नही तो माँ हमारी फेरी को नही मानते ।
यह एक प्राचीन स्थल है जहां भेरूजी माँ के साथ में बिराजमान है ।

सिसोदिया वंश चौबीस शाखाऒ का स्थान  और जूना खेतलाजी का स्थान
चित्तोडिया भेरू जी
काल भेरूजी
रक्तियां भेरूजी
व् राज घराने के भेरूजी यहाँ विराजमान हैं ।

जय माँ बायण जय एकलिंग जी जय खेतलाजी

श्री बाण माताजी की विशाल भजन संध्या माँ के आशीष से सफल रही

25/10/2015 को माँ बाणेश्वरी के पाट स्थान चित्तौड़गढ़ में " श्री बाण माताजी भाईपा ग्रुप , माली समाज , बालोतरा " द्वारा आयोजित विशाल भजन सँध्या माँ बायण , खेतलाजी प्रभु और प्रभु एकलिंग जी की कृपा से सफल हुई ।
माँ बायण के दरबार में माँ बायण के भजनों की प्रस्तुति " रामेश्वर माली एण्ड पार्टी " और राजेश पंवार बालोतरा  द्वारा दी गई ....
हजारो की संख्या में भक्त बालोतरा , जोधपुर , सूरत मुम्बई आदि जगह से पधार कर माँ बायण का आशीष प्राप्त किया ।

" चित्तौड़गढ़ रे मायने , मंदिर बणियो बायण जोर ।
कोयलिया टहुकॉ करे , जठे मीठा बोले मोर ।।

जय माँ बायण जय खेतलाजी महाराजा जय एकलिंग नाथ जी

Sunday 25 October 2015

Shree Ban Mataji Ghanerao

श्री ब्राह्मणी माताजी घाणेराव
#आज के दर्शन
गढ़ गणा आप बिराजिया , गोडवाड़ घाणेराव ।
दुखियो दुःख दूर करणने , ब्राह्मणी सु जणाव ।।

( तस्वीर में माँ के लाड़ले भक्त श्री प्रदीप जी सिसोदिया )

Saturday 24 October 2015

Shree Ban Mataji Ujaliya ( Near Mathaniya , Jodhpur , Raj.)

श्री बाण माताजी के भक्तो का संघ पहुँचा माँ बायण के उजलिया ( जोधपुर , राज.) मंदिर में
श्री बाण माताजी के इस प्राचीन मंदिर में श्री बायण माता जी एक गुफा में विराजमान है , मंदिर के एक तरफ रेतीले टीले है तो एक तरफ पहाड़ ।
माँ की महिमा भारी है
उजलिया जोधपुर जिला के मथानिया के करीब आता है , मंदिर किसने और कब बनाया इसका तो कोई प्रमाण नही है लेकिन मंदिर में विराजमान श्री बाण माताजी के मूरत और मंदिर को देख कर पता लगाया जा सकता है कि यह मंदिर कितना प्राचीन है ।
जल्द ही हम माँ बायण की कृपा से माँ के इस भव्य मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास आप सभी भक्तो तक जल्द ही पहुचाएंगे ।

धोरा धणीयाणि आज कहवा गई , मेवाड़ धनियाणि मात ।
उजलिया मंदिर मन मोवणो , मरवाड़ में विख्यात ।।

बायण म्हारा थे सर धणी , अर मैं बायण रो दास ।
पल पल करू विणती , बसो हमारे पास ।।

जय माँ बायण जय एकलिंग जी जय खेतलाजी

Shree Ban Mataji Kavita 3

ध्यावु थाने धणियाणि , आजो म्हारे आज ।
रेजो रात आज री , केसु मन रो राज ।।

सुणो सेवक री तारिणी , कह रह्यो लालो बात ।
तू धणियाणि चित्तोड़ री , बायण सु विख्यात ।।

रेजो अजूणि रात रा , सिड़ा स्यु अंगियो काँछळी ।
पाटण पटोला लाइने , संग ल्यावो चुंदड़ी पिळी ।।

कोढ़ करी ओढ़ावु माँ , ओढ़ो थे धणियांणी ।
कसुम्बल तारा वाळी चुंदड़ी , अति शोभे कल्याणी ।।

रेवो रात आज री , रंदाऊ सिरो लापसी ।
आठम रात उजाळि , भक्त हाथा सु जिमावसी ।।

काना कुंडल लावसु , पायल पगल्या माय ।
नाक  नथ  शोभती , बिंदी ललाड़ माय ।।

चुड़लो हाथा सोवणो , गजदन्त सु देवु बणाय ।
सेवकीयो शरण में , महेंद्र सिंह सु जणाय ।।

अनुराधा बेटी आप री , कर रही नित गुणगाण ।
प्रदीप परम् भक्त आपरा , जय हो चित्तोड़ धणियांण ।।

जय माँ बायण जय एक्लिंग जी जय खेतलाजी

Ek Sham Shree Ban Mataji Ke Nam

कल होगा चित्तोड़ में माँ बायण के भव्य जागरण का आयोजन

Friday 23 October 2015

Shree Ban Mataji Ke Dohe

जोग जोरको है भयो , बायण आया पावणा ।
गज मोती थाळ सजा , करू बायण रा बदावणा ।।

सोने रो सिंगासण बनाऊ , उण पे बायण बिराजणां ।
जो मन हुवे भोग रो , हुकम सेवक ने देरावणा ।।

हीरा जड़ित सिगांसण पर , बिजळ बाव ढोलावणा ।
चरणा में बैठ सेवकीयो , नैणा पाँव पखारणा ।।

ख़ुशी भये मन माय , नर नारी बुलावणा ।
आजो भक्तो दर्शन करलो , बायण घर आया पावणा ।।

सन्त साधुओं में बुलायने , जमो जोर जगावणा ।
घूँघर बाँध पगा रे माय , नृत्य मो करावणा ।।

अनुराधा प्रदीप बेटा बेटी री , बेगा आराधे आवणा ।
महेंद्र सिंह चरणा रो सेवक , जस थारा बायण रा गावणा ।।

जय माँ बायण जय एकलिंग जी जय खेतलाजी

Thursday 22 October 2015

Shree Ban Mataji Ke Dohe

धराउ दिशे धुंधळा , उड़े रंग बिरंगी गुलाल ।
बायण हंस चढ़ आ रह्या , बाजे घोड़ा री खड़ताल ।।
बायण संग भेरू आया , श्वान री होय असवारी ।
चित्तोड़ गढ़ नोपत गुर रह्या , घूमर रमवा री तैयारी ।।

जय माँ बायण जय एकलिंग जी जय खेतलाजी

Shree Banmataji

कठ जाय कहूँ दुखड़ा , कुण सुणे मो अरजी ।
बायण शरण में आवियो , जो करे थारी मरजी ।।

दुखी होय दुनिया सु , बायण आयो शरण तिहारी ।
दुखड़ा मेट शरण जग दीजो , धनियाणि माँ म्हारी ।।

भजन करू भक्ति करू , नित उठ ध्यावुं थाने ।
सेवकीयो शरणे पड़े , दरश दो बायण माने ।।

गुण गाऊ भजन सुनाऊ , सब ने सुनाऊ थारी महिमा ।
सेवकीयो थारो लारे रह गयो , बायण हालो थोड़ा धीमा  ।।

सोमवार चुरमो बनाऊ , मंगल ने मिठाई ।
सोने चांदी रा बर्तन माई , रूस रूस भोग लगाईं ।।

बुधवार बाटा बनाऊ , छप्पन साग स्वादिष्ट ।
बिजळ बाव ढ़ोळावणा , बायण सी नही इष्ट ।।

गुरु को गरम लापसी , देशी घी में नाकि ।
माळवियो माई गुड़ मळाऊ , पिस्ता बदमा नी बाकी ।।

शुकर ने सिरो सोजी रो , शनि ने सात पकवान ।
रवि रावळो आपरो , जो हुकम रखु खान पान ।।

उजाळि अष्टमी रात आपरी , जमलो जगाऊँ जोर ।
बण पागल थारी भगति में , नाचू चारो पोर ।।

संत सुर न्योतो जमले दूँ , आजो हंस असवारी ।
धनुष बाण धारण किया , महिमा थारी भारी ।।

सोळह शिणगार सज आवजो , झांझर रे झणकार ।
माँ बेटो घूमर खेल स्या , होसी आनंद अपार ।।

अभिलाषा एक अरदास है , कृपा कीजे धनियाणि ।
महेंद्र सिंह ने दरश दीजो , मात म्हारी ब्राह्मणी ।।

Monday 19 October 2015

Ban Mataji


चितौड़गढ़ किलो घणो प्यारो,
भक्ता रे मन भावे न्यारो,
बाण माँ री महिमा अपरम्पार,
सिसोदियो री शक्ति रो पायो नही पार ,
आ धरती शूरवीरा री जननी,
इण री महिमा जाये न बरणि ,
किले में गूंजे तलवारा री बाणि,
भूमी सु आभे ताणि,
अठे होवे क्षत्राणिया रा जौहर,
बचावे लाज और बने मेवाड़ी गौरव,
बप्पारावल इण वंश रा पेला शासक ,
बाण माँ रा परम भक्त , द्विग्विजय हा वे शासक ,
हमीर सिहं जी शिशोदा ठाकुर ,
बाण माँ भक्त शूरवीर रण बांकुर,
राणा कुंभा कुम्भलमेर बसायो ,
इण धरा पर अपनो मान बढ़ायो,
राणा सांगा वीर योद्धा अस्सी घावों में ही काया,
गुजरात, हरियाणा, पंजाब में मेवाड़ी ध्वज लहराया,
राणा उदयसिंह शहर बसायो,
जिणने उदयपुर नाम स्युँ जणायो,
राणा प्रताप री काई थाने बात बतावा,
लिखता व्यारी प्रशंसा मैं खुद थक ज्यावा,
सवा मणि रो भालो व्यारो ,
जिणसु डर अकबर आयो कोनी रण में बैचारो,
महाराणा मेवाड़ धरा री राखे मुँछ मरोड़,
उण बाना री आज जुगत में हुवे न होवे होड़,
चितौड़गढ़ रो नाम है मोटो,
इण किला ने है बाणेश्वरी माँ रो ओटो,
करे रखवाली चितौड़ धणियाणी ,
इण किला में गुंजे जय मेवाड़ जयकारी,
बाणेश्वरी माँ री महिमा गावा,
नाम लेवा सु भव पार उतर जावा,

" जय कुलदेवी माँ जग जननी बाणेश्वरी माँ "

श्री बाण माताजी शोभा यात्रा

श्री बाण माताजी मित्र मंडल सूरत द्वारा माँ बाणेश्वरी की सूरत में शोभा यात्रा निकालते हुए भक्त गण ........
आनंद मई हो गयी सूरत की गालिया.....
फूलों में खिली सूंदर कलियाँ .........
भाग खुल गए सूरत के भक्तों के ...
जब भक्तो को बाण माँ मिलिया .......
श्री बाण माताजी मित्र मंडल सूरत गुजरात
18/10/2015

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