Friday 27 January 2017

श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-08

श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-08

हे बाण माता! आप लोक-लोकेश्वरी, महामंगलस्वरूपिणी तीनों लोकों द्वारा प्रणम्य जगजननी हो।  हे जगन्मात:! मेरा आपको बार-बार और कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बायण! हे मंगलस्वरूपे! हे विपत्तियों का हरण करने वाली! है पापियों के लिए चंडी! हर्ष आनन्द प्रदान करने वाली शुभ नाम स्वरुप वाली माँ! आप मुझे सुख, समृद्धि, शान्ति, सन्तति और आनन्द प्रदान करें। मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे बाणेश्वरी! आप परात्पर से परे हैं । आप क्रोध, हिंसादि दोषों से सर्वथा मुक्त नितांत शुद्ध सत्वस्वरूप वाली हैं। आपकी स्तुति करने तथा आपके गुणों की गणना करने की सामर्थ्य किसी भी प्राणी में नही हैं । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ ब्राह्मणी! आप समस्त पदार्थों की बिजस्वरूपा हैं। आप ही अभी जीवों के लिए निरन्तर कल्पवृक्ष के समान उनकी सभी कामनाओं को पूरा करने वाली हैं। आप ही दुग्ध, धन तथा बुद्धि प्रदान करने वाली हैं। सुरभिमय! मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे बाणासनवती देवी! आप चार भुजा धारण कर हाथों में धनुष-बाण, वैद, माला और कमल का पुष्प धारण किए हुए हैं। आप ही नाना भूषणों से आभूषित नीले तीन नेत्रों वाली तथा दस चरणों वाली महाकाली हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे हंसवाहिनी! हे हंस पर आरूढ़ होने वाली देवी! देवों के कल्याण के लिए बाणासुर जैसे आततायी दैत्यों का विनाश करने वाली , सच्चिदानन्दमय स्वरूप का मैं ध्यान करता हूँ और आपको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ ।
हे बाण माता! आप त्रिलोक को उत्पन्न करने वाली हैं- करुणा की सागर हैं। ब्रह्मा, विष्णु सभी देवों से वंदनीय हैं । आपके चरण-कमलों में मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।

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Monday 23 January 2017

श्री बाण माताजी मंदिर गाँव-मंडाणी ( जावल के पास ) जालोर

श्री बाण माताजी मंदिर सूरत ( गुज.)

श्री बाण माताजी मन्दिर सूरत

आप सभी सिसोदिया गहलोत वंश के एवं श्री बाण माताजी के साधकों को यह बताते हुए हमे अत्यंत ही ख़ुशी हो रही है कि , सिसोदिया गहलोत वंश की कुलदेवी श्री बाण माताजी का मंदिर अब आपके शहर सूरत में भी है ।

मंदिर का निर्माण संवत 2068 वैशाख शुद पंचमी 26 अप्रैल 2011 को माँ बायण के परम् भक्त श्री प्रदीप जी सिसोदिया द्वारा माँ के शुभाशीष से किया गया था ।
मंदिर में हर शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भजन संध्या महा आरती एवं प्रसादी का आयोजन किया जाता है ।

पता :- श्री बाण माताजी मन्दिर लिम्बायत पोलिस चोकी के सामने मोल्डन टाउन के पिछे मंगलपार्क सोसायटी सेवनडेज स्कूल के सामने सुरत ( गुजरात )

श्री बाण माताजी का मुख्य मंदिर चित्तौडगढ़ में है , श्री बाण माताजी को बायण , ब्राह्मणी और बानेश्वरी माताजी भी कहते है , इस संदर्भ में एक दोहा भी है :-
" बाण तू ही ब्राह्मणी , बायण सु विख्यात ।
सुर संत सुमरे सदा , सिसोदिया कुल मात ।। "

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Monday 16 January 2017

श्री बाण माताजी श्लोक-15


हंस युक्त विमानस्थे ब्रह्माणी रूपधारिणी |
कौशांभ: क्षरिके देवी नारायणी नमोस्तुते ||

Thursday 12 January 2017

श्री ब्राह्मणी ( बाण माताजी ) माताजी मंदिर सारंगवास ( नवी धाम )

श्री ब्राह्मणी ( बाण माताजी ) माताजी धाम सारंगवास ( नवी धाम )

' नवी धाम ' इस जगह को कौन नही जानता जन-जन की आस्था का केंद्र सारंगवास में विराजमान श्री सोनाणा खेतलाजी का भव्य मंदिर बना हुआ हैं, काशी के कोतवाल भेरू नाथ काशी से मंडोर आए, मंडोर से तीखी पहाड़ी वहां से सोनाणा और सोनाणा से आकर सारंगवास में विराजमान हुए, श्री सोनाणा खेतलाजी ब्राह्मणी माताजी के लाडले पुत्र कहलाते हैं...

' शंकर रा अवतार भेरूजी, मात ब्राह्मणी रा जाया जी '

श्री सोनाणा खेतलाजी के दरबार में ही ब्राह्मणी माता हंसारूढ होकर बैठी हैं, श्री ब्राह्मणी माताजी की यह प्रतिमा अत्यंत ही प्राचीन हैं देवी ने चार भुजा धारण कर हाथ में कमण्डल, कमल पुष्प, माला और वेद ( पुस्तक ) लिए हुए हैं। लोकमान्यता एवं जनश्रुति के अनुसार श्री ब्राह्मणी माताजी पूर्व में ' श्री सोनाणा खेतलाजी ' ( नवीधाम ) जहां विराजमान हैं , वहां गुफा के अंदर बाण माताजी का आसान था एवं श्री सोनाणा खेतलाजी जूनी धाम सोनाणा में विराजमान थे । वहां गुफा के आगे एक नदी बहती थी और आज भी बहती हैं। एक दिन श्री सोनाणा खेतलाजी अपनी माता श्री ब्राह्मणी माँ से मिलने सोनाणा से सारंगवास आए और माँ से बोले

सोनाणा खेतलाजी :  माँ आज हम माँ-बेटे इस नदी में स्नान करते हैं और देखते हैं कौन सबसे ज्यादा समय पानी में डुबकी लगाए रहता हैं। '
ब्राह्मणी माता को शक हुआ और उन्होंने खेतलाजी से कहाँ
ब्राह्मणी माता : खेतल तूँ बहुत बड़ा छलिया हैं मेरे साथ कोई छल तो नही कर रहा हैं?
सोनाणा खेतलाजी : नही-नही माँ मैं आपके साथ कैसे छल कर सकता हूँ मैं तो आपका बेटा हूँ।

यह कह कर  माँ ने नदी में डुबकी लगा दी, लेकिन खेतलाजी वहां से दौड़कर गुफा में जाकर बैठ गए, जहां ब्राह्मणी माताजी का स्थान था। ज्यादा समय के बाद जब ब्राह्मणी माताजी पानी से बाहर आये तो उन्होंने अपने बेटे खेतलाजी को वहां नही पाया और चिंता करने लगी ' कि कही मेरा बेटा पानी में डूब कर मर तो नही गया ' और इधर-उधर आवाज देने लगे खेतल-खेतल!
तभी खेतलाजी ने गुफा से माँ बाण माता को आवाज दी और बताया कि माँ मैं यहां हूँ आप चिंता मत करो! माँ ने यह देख खेतलाजी से कहाँ ' कि बेटा मैंने कहाँ था तूँ मेरे साथ छल करेगा?
यह कहते ही खेतलाजी माँ के चरण पकड़ क्षमा मांगने लगे और माँ से विनती करने लगे....
हे माँ मैं आपका बेटा हूँ आप मेरी माँ हो आज से मैं यहां ऊपर गुफा में बैठूंगा और आपका निवास स्थान मुख्य द्वार के पास वहां नीचे होगा, जो भी भक्त मेरे दर्शन हेतुं आएंगे उनको पहले आपके दर्शन होंगे, जो मेरे दरबार में आकर मेरे दर्शन कर आपके दर्शन नही करेगा, उसे उस फल की प्राप्ति नही होगी जो आपके दर्शन से होती हैं....
जात-जडूलिया जो मेरे जहाँ देने आयेगा उसे आपके वहां भी देना होगा नही तो अमान्य होगा।
माँ-बेटे का रिश्ता जगत में सबसे निराला हैं, माँ की ममता का कोई पार नही हैं, बेटा चाहे कितनी भी बड़ी गलती करले माँ तो उसे क्षमा कर ही देती हैं और ब्राह्मणी माता ने उन्हें क्षमा कर दिया ।
आज राजस्थान से ही नही अपितु सम्पूर्ण भारत से खेतलाजी और ब्राह्मणी माताजी के दर्शनार्थ हेतुं लाखों भक्त आते हैं चैत्र सुदी प्रथमा एवं द्वितिया को लगने वाला मेला भक्तों की माँ और खेतलाजी के प्रति अपार श्रद्धा को दर्शाता हैं मेले में लाखों भक्त मातेश्वरी और खेतल बाबा के दर्शन हेतुं यहाँ आकार अपनी इच्छा अनुसार वर प्राप्त करते हैं।

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श्री ब्राह्मणी ( बाण माताजी ) माताजी मंदिर जाटी भांडू ( शेरगढ़ )

Wednesday 11 January 2017

श्री बाण माताजी श्लोक-14

आदिशक्तिजगन्नमाता महामाया बाणेश्वरी |
ख्याताश्रीबायणनाम्ना चित्रकूटदुर्ग विराजते ||

श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-07

महामाया चित्तौड़गढ़ राय श्री बाण माताजी की स्तुति पार्ट-07

हे बाण माता! आप सभी मंगलों को मंगलमय बनाने वाली, कल्याणस्वरूपा और सभी मनोरथों को पूरा करने वाली हो। आप ही शिवा, लक्ष्मी तथा ब्रह्माणी हैं। शरणागतवत्सल, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ बायण माता! आप इस संसार की आश्रय, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमती, भक्तों को विजय दिलाने वाली तथा मंगल करने वाली हो। आपसे मेरा निवेदन हैं कि आप मुझे सब प्रकार से मंगल प्रदान करें। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे ब्रह्माणी देवी! आप सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली, पुण्यों का बीज, आद्या तथा समृद्धि लाने वाली हो । आपसे प्रार्थना हैं कि आप मुझे सभी इष्ट पदार्थ प्रदान करने की कृपा करें । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बाणेश्वरी! आपसे ही समुद्रों, पर्वतों, नदियों और सभी रसों व ओषधियों की उत्पत्ति हुयी हैं तथा आपसे ही यज्ञ, दीक्षा, धुप और दक्षिणा के वेदत्रयी ऋक, साम तथा यजु: का आविर्भाव हुआ । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे कन्याकुमारी! आपसे ही प्राण, अपान आदि पाँचों वायु अन्नादि धान्य, तप, श्रद्धा, सत्य, ब्रह्चर्य, सातों प्राण, सातों समिधायें, सातों होम तथा सातों लोक उत्पन्न हुए हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे हंसवाहिनी! आपसे ही अग्नि, सूर्य तथा चंद्रमा आदि उत्पन्न हुए । आप ही 'ह्रीं ' स्वरूपा हैं। आपको सामने से, पीछे से, दोनों पाश्र्वों से, ऊपर से, नीचे से चारों दिशाओं में कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे बाण माता! आप ही काल एवं संख्यास्वरूपा हैं आपकी शक्ति के बिना कोई भी व्यक्ति कोई भी संख्या गिनने में समर्थ नही हो सकता । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।

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Tuesday 10 January 2017

श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-06

श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-06

हे बाण माता! विश्व के समस्त पदार्थों में उनके तेज के रूप में आप ही अवस्थित हैं, आपका स्वरूप सूक्ष्मातिसूक्ष्म हैं, परन्तु आपके उस सूक्ष्म शरीर में ही विश्व के सभी लिंग शरीर ओत-प्रोत हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ बाणेश्वरी! आप ही महामाया, जगदम्बा, भगवती दुर्गा हैं, आपको बारम्बार प्रणाम। आप ही प्रकृति और कल्याण करने वाली माता हो। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ ब्रह्माणी! आप अग्नि के समान तेजस्विनी, तप से देदीप्यमान सभी लोगों को कर्मफल प्रदान करने वाली हो। मैं आपकी शरण में आया हूँ, आप मेरी रक्षा करें। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे वरदायिनी! सभी देवों के तेज के समुच्चय के रूप में आपका अभिर्भाव हुआ हैं। आप ही दुर्गा, लक्ष्मी तथा सरस्वती हो। जिस प्रकार सेवक गोपाल को गाय अपने दुग्ध से तृप्त करती हैं, उसी प्रकार आप भी मुझे विद्या प्रदान कर तत्वनिर्णय में समर्थ बनाने की कृपा करें। मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम।
हे ब्रह्माणी! आप ही कालरात्रि अर्थात प्रलय करने वाली हैं। ब्रह्माजी आपकी ही स्तुति करते हैं। आप ही वैष्णो देवी हो। आप ही सरस्वती, अदिति, दक्षपुत्री आदि हो। वस्तुतः सभी देवियाँ आपका ही स्वरुप हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे बाण माता! आप ही महालक्ष्मी, सर्वशक्ति स्वरूपा देवी हैं, मैं आपका ध्यान धारण करता हूँ और आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप मेरी बुद्धि को प्रेरित करें। जिस अज्ञान के कारण सर्प को पुष्पमाला समझने के समान मेरी संसार में सत्यबुद्धि हैं, आप की कृपा से उस अज्ञान का नाश हो जाए और सत्यज्ञान की प्राप्ति हो जाए। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे बायण माता! आप ही वेद-वेदांत ज्ञेय, प्रणव ( ओंकार ) स्वरूपा तथा ह्रीं मूर्ती हैं। ऋद्धि-सिद्धि तथा भुक्ति-मुक्ति के अभिलाषी आपके ही शरण होते हैं। आप ही कूटस्थ साथी रूपा हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे बाण माता! आप देवाधिदेव, जगत के कारण-ब्रह्मा, विष्णु आदि की भी कारण अर्थात उत्पादिका हैं। आप चित्तौड़गढ़ दुर्ग में निवास करती हो। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।

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श्री बायण माता आराधना

थारे तो लाख बेटा हैं, म्हारी मायड़ इक रहसी |
हूँ कपूत जायों हूँ थारे,थने कुमाता कुण कहसी ||
अब तो थारी पत ज्यावै हैं, हंस चढ्या तूँ कद आसी |
माता अब तो सांझ पड़ी हैं, रुस्यों दिन कद आसी ||

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Monday 9 January 2017

श्री ब्राह्मणी ( बाण माताजी ) माताजी मंदिर मंडोर

श्री ब्राह्मणी माताजी ( बाण माताजी ) मंडोर

मंडोर बगीचे में विराजमान काला-गोरा भेरूजी का निकास स्थान काशी हैं, भेरूजी काशी के कोतवाल कहलाते हैं। मंडोर काला-गोरा भेरूजी का मंडोर पुरे भारत में प्रसिद्ध हैं, जब भेरू जी काशी से पधारे तब काला-गोरा भेरू जी अपनी माँ ब्राह्मणी के साथ यहां विराजमान हुए। सप्तमातृका में से एक देवी ब्रह्माणी माता हैं, यह पीले रंग में दर्शायी जाती है।  इनके चार भुजायें हैं, यह देवी कमण्डल, कमल पुष्प, माला तथा पुस्तक धारण करती है। इनका वाहन हंस है। ब्रह्माणी माता कई समाजों द्वारा कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है।
मंडोर में स्थित इस मंदिर में काला-गोरा भेरूजी, ब्राह्मणी माताजी, नागणेच्या माताजी, गजानन्द जी और सच्चियाय माताजी विराजमान हैं। यहां दर्शन हेतुं भक्तों तांता हर समय लगा रहता हैं ।

नमस्ते हंसारुढ़े, बाणासुरभयंकरी |
सर्व पापहरे देवी, बाणेश्वरी नमोस्तुते ||

मंडोवर मारवाड़ में , माँ ब्राह्मणी रो आसण |
गोडवाड़ बाण पूजता , चित्तोड़ में बायण ||

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