Thursday 30 March 2017

श्री बायण माता आराधना-01

शगति तूँ चित्तौड़ री, धणियाणी माँ धाय |
तूँ बायण तूँ ब्राह्मणी, तूँ मोटी मम माय ||
मोटी तूँ मम माय, बाणासुर मारियो |
कीनों देवी कोप, पकड़ असुर पछाड़ियो ||
पूजावें नित पांव, जीका तूँ पार्वती |
वर हांजी शगत पिलाणे, हंस चढ़ी तूँ सरस्वती ||
चित्तौड़ चारभुजाळी रो, तारण माता ईशरी |
नेचे करवा बायण, वायर मायड़ निसरी ||
लूट लियो गढ़ चित्तौड़, युद्ध में देवी तूँ लड़ी |
असुर खपावण आप, बाणेश्वरी तूँ अवतरी ||

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Wednesday 22 March 2017

कुलदेवी श्री बाणेश्वरी माताजी का महान बीज अक्शर मंत्र :-

कुलदेवी श्री बाणेश्वरी माताजी का महान बीज अक्शर मंत्र :-

ओम आम क्रोम हीम रीम श्रीम
क्लीम ब्लिम ब्लम ब्लम ब्लाम
मम सर्वारिष्ट सिद्धिम
कुरुर कुरुर कुलदेवी
श्री बाणेश्वरी माताय नमः

🌹 इस मंत्र को श्रद्धा भक्ति से सुबह दीप प्रज्वलित करके ०९ बार मंत्रो का जाप और एक बार क्षमा याचना करनी चाहिए।

क्षमा याचना :-
हे माँ बाणेश्वरी! मेरे द्वारा रात-दिन सहस्त्रों अपराध होते रहे हैं, अतः आप मुझे अपना सेवक समझकर कृपापूर्वक मेरे उन अपराधों को क्षमा करो। न तो मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना जानता हूँ और न ही पूजा करना जानता हूँ। हे माँ बाणेश्वरी मुझे क्षमा करो। हे बाणेश्वरी! मैंने जो मंत्रहीन, क्रियाहीन और भक्ति हीन पूजन किया हैं वह सब आपकी दया से पूर्ण हो। हे माँ बाणेश्वरी! मैं सेवक हूँ, आपकी शरण में आया हूँ, अतः इस समय मैं दया का पात्र हूँ, तुम जैसा चाहो, वैसा करो। अज्ञानवश या बुद्धिभ्रम होने के कारण भूल से जो कुछ भी मैंने कम या अधिक कर दिया हो, हे देवी! माँ बाणेश्वरी! सब अपराध क्षमा करो और प्रसन्न हो। हे महामाया! माँ बाणेश्वरी! आप गुप्त से भी गुप्त की रक्षा करने वाली हो, आप मेरे किये हुए इस जप को ग्रहण करके मेरे सभी अपराधों को क्षमा करो। हे देवी! हे माँ बाणेश्वरी! आपकी कृपा से मुझे सिद्धि की प्राप्ति हो।

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Thursday 16 March 2017

श्री ब्राह्मणी माताजी मंदिर चिराणा

श्री ब्राह्मणी माताजी मंदिर चिराणा

मंदिर का इतिहास-
अग्रजों के अनुसार चिराणा मे बहुत वर्षों पुर्व चारभुजा मंदिर के निर्माण के समय ही दक्षिण-पुर्वी पहाडी पर माता के मंदिर का निर्माण किया गया था जिसके बाद से चिराणा मे किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर माता के मंदिर से पहाडी से आवाज आती थी । गांव मे चोरो के प्रवेश पर भी माता रानी के मंदिर से आवाज आती थी जिससे ग्रामवासी जाग जाते थे । ऐसे होने पर तथाकथित एक जाती के चोरो द्वारा मंदिर में कुछ अपशिष्ट प्रदार्थ डालकर माता की शक्ती को भंग कर  मंदिर को खण्डित कर दिया जिसके बाद आवाजे आनी बंद हो गई ।अभी हाल ही मे गांव के गणमान्य नागरिकों द्वारा एक समिती का निर्माण कर मंदिर का पुनःर्उद्धार किया गया है जिसके बाद मातारानी भक्तों के संकट हर रही है ।

प्रतिछठ होती है विशेष पुजा व आराधना-
माता के यहां प्रत्येक हिन्दु माह की छठ को विशेष पुजा अर्चना व आराधना होती है । गांव की महिलाये दोपहर को माता के दरबार मे भक्तिमय संगीत से मैया को रिझाती है ।

इन व्याधियों मे सामने आया लाभ-
ब्रह्माणी माता के यहां की गई मन्नत के बाद विभिन्न व्याधियों मे आराम मिलने पर अब तक जो परिवार व लोग सामने आये है उनमे शरीर मे किसी भी प्रकार के दर्द,डायबिटीज,ब्लड प्रेशर आदी मे लाभ मिलने की बाते अबतक  सामने आई है ।

नारियल मे निकली माता की मूर्ति –
नवरात्री मे षष्ठम नवरात्री के दिन माता रानी के नारियल चढ़ाने पर नारियल से मूर्ति के आकार का गट निकलने की बात सामने आई है ।मुर्ती के आकार  के गट को मंदिर के पुजारी द्वारा माता के चरऩों मे विराजित कर पुजा अर्चना की जा रही है ।

दूर – दराज से श्रद्धालु आ रहे जात जडुला करने:-
चिराणा मे दक्षिण-पुर्वी पहाडी पर बेठी माता रानी के यहां दूर दूर से श्रद्धालु जात जडुला करने आ रहे है । लक्षमणगढ़ के एक परिवार के द्वारा ब्रम्हाणी माता से संतान की मन्नत करने पर संतान सुख प्राप्त होने की भी बात सामने आई है जिसके बाद फल प्राप्त करने वाला परिवार माता के धोक लगाकर गया है व अन्य ऐसे ही कई माता के चमत्कार सामने  आये है जिनका नाम लेकर उल्लेख करना उचित नही होगा ।

चिराणा के वास्तुशास्त्र मे भी मिला लाभ-
एक साल पुर्व चिराणा मे हो रहे भयकरं सडक हादसों मे जान गवांते चिराणा के युवा नजर आये तो एक कारण यह भी माना गया की  चिराणा मे चारों तरफ मंदिर है परन्तु दक्षिण-पुर्वी पहाडी का स्थान नीचा व खाली रहने के कारण वास्तुशास्त्र मे दोष होने से ये दुर्घटनायेॉ हुई है । कुछ समय बाद मंदिर का निर्माण होने पर इन दुर्घटनाओं मे 95 फीसदी तक की कमी देखी गई है जो की चिराणा के लिये  माता की कृपा का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है ।

" बाण तूँ ही ब्राह्मणी, बायण सु विख्यात |
सुर सन्त सुमरे सदा, सिसोदिया कुलमात ||

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श्री बाण माताजी श्लोक-23

अजेश्वरी अपरा देवी, महामाया अरिमण्डलमर्दिनी |
शरनन्दा शरणागति, माँ बाणेश्वरी नमोस्तुते ||

Wednesday 15 March 2017

श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-09

श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-09

हे माँ बाणेश्वरी! आप ही जगत को व्यापने वाली माया हो आप ही प्रलय काल में समुद्र में शयन करने वाली हो | तत्वदृष्टा महर्षियों ने आपको ही परात्परों से भी पर सर्वातीत बताया हैं | आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे माँ ब्रह्माणी! आप ही विद्या हैं, आप ही सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और उसका अंत करने वाली हैं | आप ही कूटस्थ प्रकट अप्रकट रूपा हैं | सबकी आधारस्वरूप, सुंदरता को सुंदर बनाने वाली तथा अत्यंत तेजोमयी आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे बाण माता! आप ही कालिका, सरस्वती, तारा, लक्ष्मी, त्रिपुरा सुंदरी, भैरवी, मातंगी, धूमावती हो | वस्तुतः आप एक ही विभिन्न अवसरों पर विविध रूप धारण करती हैं | आपकी महिमा अपरंपार हैं | आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे बायणेश्वरी! आप ही छिन्नमस्ता, क्षीरसागर से उत्पन्न होने वाली लक्ष्मी, शाकम्भरी और रक्तदंतिका हो | आप ही शुम्भ-निशुम्भ, रक्तबीज, वृत्रासुर, बाणासुर तथा धूम्रलोचन आदि राक्षसों का विनाश करके देवों का परित्राण करने वाली महिमामयी देवी हैं | आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे हंसवाहिनी! आप ही पृथ्वी, दया, तेज, प्राण, रूप, धर्म देव, ज्योति, ज्ञान तथा भूत आदि हैं | इन सबकी सत्ता आप से ही हैं | सृष्टि में सर्वत्र आप ही व्याप्त हैं, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे बाणासनवती देवी! आप ही वर देने वाली गायत्री देवी हैं, आप ही सावित्री, सरस्वती, स्वाहा, स्वधा, दक्षिणा हैं | हे अनन्त कोटि ब्रह्मांड की नायिके, हे मणिद्वीप निवासिनी कन्या कुमारी! आपसे मेरी करबद्ध विनती हैं कि आप मुझ पर दया करें | आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे हंसारूढा़! आप परात्पर देवी, भुवनेश्वरी, सभी उत्तमों में सर्वोत्तम जगत माता हैं | आपको मेरा पीछे से, ऊपर से, नीचे से सर्वत्र और सर्वदा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे बायण माता! आप जगदीश्वरी हैं सहस्त्रों देवता आपके अंशभूत हैं | आपकी शक्ति अकल्पनीय हैं, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |

🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩

Tuesday 14 March 2017

श्री बाण माताजी श्लोक-22

चर्चिता श्री भगवती ब्रह्मविद्यास्वरूपिणी |
अर्णव मध्यस्था विराजते माँ बाणेश्वरी नमोस्तुते ||

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Wednesday 8 March 2017

श्री बाण माताजी श्लोक-21

हंसयुक्‍तविमानस्थे ब्रह्माणीरूपधारिणि |
कौशाम्भ:क्षरिके देवि माँ बाणेश्वरी नमोऽस्तु त||

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श्री बाण माताजी मंदिर गाँव दातिवाड़ा ( बाली, पाली )

Monday 6 March 2017

श्री बाण माताजी श्लोक-20

सिसोदियावंश सेविताम् बाणासुरकुल खंडिनी |
धनुष-बाण धारिणी, भजामि देवी ब्राह्मणी ||

श्री बाण माताजी चैत्र नवरात्रि- 2017

नेड़ी आई नवरात्रि, ध्यावों चित्तौड़ धणियाण |
सुमरता देवी सहाय करें, वैद पुराणा बखाण ||

Sunday 5 March 2017

श्री बाण माताजी श्लोक-19

राजपुत्र: वरदायिनी, कन्या स्वरूपम् धारिणी |
बाणासुर दैत्य मर्दिनी, भजामि देवी ब्राह्मणी ||

श्री बायण श्री बायण भज रे, थारा पाप जावेला कट रे

“श्री बायण श्री बायण भज रे".............
“ थारा पाप जावेला कट रे".............

श्री बायण दुःख में सुख का एहसास है,
श्री बायण हरपल मेरे आस पास है ।
श्री बायण मन की आत्मा है,
श्री बायण साक्षात् परमात्मा है ।
श्री बायण भक्ति और ज्ञान है,
श्री बायण गीता और पुराण है ।
श्री बायण ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
श्री बायण श्री दुर्गा का ही एक रूप है ।
श्री बायण तपती धूप में साया है,
श्री बायण आदि शक्ति महामाया है ।
श्री बायण जीवन में प्रकाश है,
श्री बायण निराशा में आस है ।
श्री बायण महीनों में नवमी है,
श्री बायण गंगा सी पावन है ।
श्री शाकंभरी फलों में अमृत है ।
श्री बायण देवियों में रूद्राणी है,
श्री बायण मनुज देह में सावित्री है ।
श्री बायण ईश् वंदना का गायन है,
श्री बायण चलती फिरती रामायन है ।
श्री बायण रत्नों की माला है,
श्री बायण अँधेरे में उजाला है,
श्री बायण बंदन और रोली है,
श्री बायण रक्षासूत्र की मौली है ।
श्री बायण ममता का प्याला है,
श्री बायण शीत में दुशाला है ।
श्री बायण गुड सी मीठी बोली है,
श्री बायण दशहरा दिवाली, होली है ।
श्री बायण इस भक्ति मार्गमें हमें लाई है,
श्री बायण की याद हमें अति की आई है ।
श्री बायण सरस्वती लक्ष्मी और दुर्गा माई है,
श्री बायण ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।
प्रति दिन में बस ये इक पुण्य का काम करो।
श्री बाण मैया जी का गुणगाण  करो ।। 🙏🏻🙏🏻

🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩

Saturday 4 March 2017

श्री बाण माताजी श्लोक-18


विशिष्ट सृष्टि कारिणी, विशाल रूप धारिणी |
जले स्थले निवासिनी, श्री बाणेश्वरी माँ नमोस्तुते ||

श्री बाण माताजी श्लोक-17

दरिद्र दुखः हारिणी, सत विभूति कारिणी |
रना-वना विराजिनी, भजामि देवी ब्राह्मणी ||

कुलदेवता श्री सोनाणा खेतलाजी का संक्षिप्त इतिहास

सोनाणा खेतलाजी का सक्षिप्त इतिहास-

भक्तों चैत्र की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि हैं वैसे तो पुरे भारत वर्ष में आज से नवरात्रि शुरू होंगे लेकिन इसी के साथ आज माँ ब्राह्मणी ( बाण , बायण ) के लाड़ले और जन जन के आस्था के प्रतिक श्री सोनाणा खेतलाजी का जन्म दिवस हैं , श्री बाण माताजी भक्त मंडल जोधपुर की और से आप सभी भक्तों को श्री सोनाणा खेतलाजी के जन्म दिवस पर हार्दिक  शुभकामनाएं , खेतलाजी की कृपा आप और आपके परिवार पर सदा बनी रहे साथ ही नवरात्रि एवम् हिन्दू नव वंश की हार्दिक शुभकामनाएं माँ भगवती श्री बाण माताजी की कृपा सदा आप पर बनी रहे । श्री सोनाणा खेतलाजी के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर पाट स्थान सोनाणा एवम् सारंगवास में आज के दिन भव्य लकी मेले का आयोजन किया गया ।
श्री सोनाणा खेतलाजी ( गोरा भेरूजी ) और श्री काला भेरूजी का निकास काशी से हैं , काशी से बापजी मंडोर ( जोधपुर ) पधारे यहा पर काला गोरा माँ ब्राह्मणी , माँ नागणेच्या और गणेश जी के साथ विराजमान है , मंडोर से तिकी पहाड़ी आना पधारे और यहा से सोनाणा ( जूनी धाम ) और सोनाणा से सारंगवास ( नवी धाम )  आएं ।

राजस्थान प्रांत के पाली जिले में देसुरी गाँव के पास “श्री सोनाणा खेत्लाजी” का प्रसिद्ध मंदिर है| राजस्थान में भैरूजी के दो रूप बताए गए है, जो काला व् गोरा भैरूजी कहलाते है| चामुंडा माताजी को इनकी माताजी माना जाता है| गोरा भैरूजी को क्षेत्र्पाल्जी भी कहा जाता है| खेत्र को खेत्र भी कहते है| अत: इन्हें खेत्रपाल भी कहा जाता है| यह शब्द अपभ्रंश से खेत्लाजी हो गया| यह गाँव (क्षेत्र) और कुल के रक्षक देवता के रूप में प्रसिद्ध है|
अरावली की पर्वत श्रुंकला में छोटी-छोटी २ पाहाडियां है| सोनाणा खेत्लाजी का मंदिर पहाड़ी की पूर्व दिशा में है|
सारंगवास में विराजमान मंदिर परिसर में श्री सोनाणा खेतलाजी , माँ चामुंडा , काला भेरू जी और गणेश जी की मूर्तियां स्वत्: ही विराजमान हुयी है ।
सारंगवास (नवी धाम)
देसुरी से ७ किमी ओर सादडी से १८ किमी फालना से ४० किमी
बहुत बडा विशाल स्थान है यहा प्याऊ धर्मशालाय गेस्ट हाऊस भोजन शाला सभी सुविधाएै उपलब्ध हैं।
खेतलाजी सारंगवास जिस गोत्र के कुल देवता है उसे विवाह की जात लगानी पडती है बाद मे बालक होने पर बाबरी (जरोलिया) की जात लगानी पडती है
नोट- जात भुखे पेट लगती है
जात पुरी विधी  से लगानी पडती है
जिसके कुल देवता है वो पेरो मे घुंघर
काले कपडे  पहना वर्जित है
यहा पुजा पाठ सेकडो वर्षो से केदारिया राजपुरोहित परिवार द्वारा बारी-बारी से शान्तिपुरवक की जाती है।
   महाराणा राजमल जी ने  1447 में  ताम्र पात्र पर लिखित आजिवन पुजा अर्चना की जिम्मेदारी केदारिया राजपुरोहित परिवार को सौपी थी ।
राजस्थान में भैरूजी के दो रूप बताए गए है, जो काला व् गोरा भैरूजी कहलाते है| गोरा भैरूजी को क्षेत्र्पाल्जी भी कहा जाता है , खेत्र को खेत्र भी कहते है ,अत: इन्हें खेत्रपाल भी कहा जाता है| यह शब्द अपभ्रंश से खेत्लाजी हो गया| यह गाँव (क्षेत्र) और कुल के रक्षक देवता के रूप में प्रसिद्ध है|
अरावली की पर्वत श्रृंखला में छोटी-छोटी २ पाहाडियां है| सोनाणा खेत्लाजी का मंदिर पहाड़ी की पूर्व दिशा में है|  राजस्थान के पाली जिले के देसूरी तहसील में श्री सोनाणा खेतलाजी का प्रसिद्ध मंदिर सारंगवास (नवी धाम)
देसुरी से ७ किमी ओर सादडी से १८ किमी फालना से ४० किमी
बहुत बडा विशाल जग प्रसिद्ध मंदिर है।  संवत् १००० के आसपास नाडोल पर चौहानों राजपूतों का राज था| अल्हन व् कल्हन दो भाई थे| नाडोल अधिपति ने अपने छोटे भाई को नडूलाई(नारलाई), देव्सुरी(देसुरी), मोरखरा(मोरखा), काणासुत(काणा), सुमेल(सुमेर) सोनाणा सहित बारह गाँव जागीर में दिए| छोटे भाई ने फिर जालोर पर चढ़ाई की व सिवाना को विजय किया| जालोर की पाहाडी का नाम सोनगढ़ दिया गया| वहां से सोनीगरा चौहान कहलाए और नाडोल वाले नाडोल चौहान कहलाए|   सोनाणा को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया- शौभावास, सारंगवास और सोनाणा|
सोनाणा के क्षेत्रपाल का मंदिर सारंगवास में ही रहा|  कुछ लोगो की धारणा के अनुसार, सर्प के रूप में भी पूजा होती है , इसलिए सारंगवास का नाम दिया गया “सारंग” जो मोर और सर्प को भी कहते है|
आना गाँव पंद्रहवी शताब्दी तक सोलंकियो के   पास अधीन रहा| १८वि सदी के अंत में सरदार सनन्द बाँध बनना शुरू हुआ तब भिथंडा महंतजी की जमीन बांध के लिए आने से उसके एवज में मारवाड़ नरेश ने उन्हें आना गाँव दिया|अर्थात सोनाणा गाँव जो बहुत बड़ा था, उसमे चार गाँव-सोनाणा, सारंगवास, शौभावास और आना कर दिया गए| परन्तु क्षेत्रपालजी मंदिर के लिए चारो गांवो का सामान अधिकार रहा एवं चारों गाँवों की सरहद की क्षेत्रपालजी की सरहद के रूप में मान्यता रही और सभी उन्हें पूजते रहे| ग्राम पंचायत के रूप में भी यह चार गाँव की पंचायत रही, जिसकी देखरेख में मंदिर के संपूर्ण कार्य की व्यवस्था rही| सन १९७८ में ट्रस्ट की स्थापना की गई, जिसका पूरा कार्य मंदिर के विकास को देखने का रहा और वे देखते आ रहे है|ज्यो-ज्यो कार्य बढ़ता गया त्यों-त्यों इन्ही कार्यक्रताओ की सलाह पर बाहर के समाजसेवियों को शामिल करते हुए विस्तार किया गया, जो आज सशक्त रूप में कार्य कर रहे है| जोधपुर से ट्रस्ट का रजीस्ट्रशन हो गे है| ऐसी मान्यता है की खेतलाजी की सरहद में जो कुआंरी कन्या आती है उसे विवाह उपसन्न (उपलक्ष) वर-वधु जुहार(जान) देना पड़ता है| पुत्र रत्न प्राप्ति हेतु भी मनौती करते है औए श्रद्धा रखने पर पुत्र रत्ना प्राप्ति के बाद जात और बच्चे को जडोले देने पड़ते है|
सन १९८२ से चैत्र सुदी १ को ट्रस्ट के निर्णयनुसार, महान भक्तराज शान्तिलालजी एवं शिवराजजी ने खेतलाजी महाराज के हुकुम से, हर वर्ष मेले का आयोजन करने का निश्चय किया, जो दिनोदिन विशाल रूप धारण करता जा रहा है|
तीर्थ का विकास इतनी तेज गति से होता आ रहा है की उसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती| इसका सार श्री भक्तराज शांतिलालजी एवं ट्रस्ट को जाता है| खेतलबाबा के चमत्कार से आज तक यहाँ इतने बड़े जनसमुदाय (सभी धर्म वर्ग के) के आते रहने के बावजूद एक ही परिवार जैसा माहौल बना रहता है|
इसी क्रम में निर्माण एवं यात्रियों की व्यवस्था का कार्य सुचारू रूप से चला आ रहा है| ऐसा भी माना जाता है की ब्रह्माजी ने भैरूजी को श्राप रुपी वरदान दिया था, जिससे घर-घर स्थापना की जाती है और जुहार(जात) मांग कर लेते है| ऐसा भी माना जाता है की मृत्युलोक में राक्षसों का नाश करके मानव की सृष्टि में भैरूजी का पूर्ण सहयोग रहा है| एक हजार नाम है| क्षेत्र और कूल की रक्षा करने वाले कुलदेव भैरूजी है, जो अपनी माता चामुंडाजी कुलदेवीजी के साथ में कुल में विराजमान रहते है| भैरूजी,खेतलाजी,क्षेत्रपालजी व् खेतपालजी सभी एक ही माया है|
काशी से जब क्षेत्रपाल आए तब सबसे पहले मंडोर में विराजमान हुए, जो आज बड़ी गाडी मानी जाती है| फिर सोनाणाजी के पास तारीकी पहाड़ की गुफाओं में पधारे, वहा के थाजुर को चमत्कार दिखाने पर वे केदारिया पुरोहितजी के आग्रह पर सोनाणा पधारे और पहाड़ी की गुफा में धुनी जगाई| मगर मेवाड़ का राज्य मारवाड़ में चले जाने के कारण चारणों के हस्तक आ गया और चारणों-पुरोहितो के आपसी झगड़े के कारण विनंती पर खेतलाजी सारंगवास की पाहाडी गुफा में आकर माँ ब्राह्मणी के पास विराजमान हुए| जो आज महा चमत्कारी कुलदेवता के रूप में पूजे जाते है|

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कुलदेवता श्री सोनाणा खेतलाजी का संक्षिप्त इतिहास

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