Thursday 30 June 2016

श्री बाण माताजी मन्दिर मोहब्बत नगर ( सिरोही , राज.)

श्री बाण माताजी मन्दिर मोहब्बत नगर ( सिरोही , राज.)

देव नगरी सिरोही जिले के मोहब्बत नगर कस्बे में श्री बाण माताजी का विशाल मन्दिर विद्यमान हैं । मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा आज से लगभग पांच साल पूर्व गहलोत घांची समाज ने की थी ।
मन्दिर में श्री बाण माताजी के साथ में मोहब्बत नगर से घाँचीयों की आराध्य देवी श्री आरासना अम्बा माताजी भी विराजमान हैं ।
मन्दिर परिसर में काला गोरा भेरू , हनुमान जी , श्री गणेश जी और शनिदेव भी विराजमान हैं ।
हर साल दीपावली के दिनों में मोहब्बत नगर से श्री बाण माताजी के पाट स्थान चित्तौड़ पैदल यात्रा संघ भी जाता हैं ।
एक और विशेष सुचना हर वर्ष की भाति इस साल जुलाई महीने में मोहब्बत नगर में विराजमान श्री बाण माताजी का विशाल मेला हैं ।
6 जुलाई 2016 की रात्रि को विशाल भजन संध्या एवम् 7 जुलाई 2016 को माताजी का भंडारा हैं आप सभी श्री बाण माताजी भक्त मण्डल जोधपुर - राज. के सोशल पेज से जुड़े भक्तों से निवेदन हैं कि मातेश्वरी के मेले में पधार कर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ावे ।

महाराणा हमीर सिंह , माँ बायण में रूचि राखी ।
भक्ति भवानी री नित किनी , मायड़ रण टेक राखी ।।

माँ बायण रे सुमिरन सु , संकट रिपु नासा ।
सिसोदिया गहलोत मनावता , कुल करयो प्रकाशा ।

मेवाड़ की धन्य धरा पर मातेश्वरी का पाट स्थान चित्तौड़ गढ़ दुर्ग में हैं , मेवाड़ में ऐसे ही कई गाँव , शहर हैं जहाँ श्री बायण माताजी के बड़े बड़े मन्दिर लेकिन पूर्ण व् स्पष्ट जानकारी न होने के कारण सभी मन्दिरों का पता नही लग पा रहा हैं। 
गत दो वर्षों में श्री बाण माताजी भक्त मण्डल जोधपुर - राज. के सोशल पेज आप तक लगभग 150 - 200 मन्दिरों की जानकारी आप तक पंहुचाईं हैं आगे भी हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि आप तक मातेश्वरी का शुद्ध एवम् सही इतिहास और जानकारी पहुँचे ।
आप सभी से निवेदन हैं कि अगर आपके गाँव या शहर में भी श्री बाण/बायण/ब्राह्मणी/बाणेश्वरी माताजी का मन्दिर हो तो मुझे मेरे व्हाट्सएप्प नंबर पर फ़ोटो भेजे । ( महेंद्र सिसोदिया +918107023716 )
आपकी वजह से अगर किसी भक्त को उसके नजदीकी क्षेत्र में उसकी कुलदेवी के मन्दिर की जानकारी मिले तो यह पुण्य का काम हैं।

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Tuesday 28 June 2016

श्री बाण माताजी मन्दिर पिंडवाड़ा , सिरोही

श्री बाण माताजी मन्दिर पिंडवाड़ा ( सिरोही )

दया दीठ से मात , दास अंगे निहारों ।
भरोसो एक मोहि , मात बायण तिहारों।।

Monday 27 June 2016

श्री बाण माताजी मन्दिर , अजबरा ( मेवाड़ )

सिसोदिया गहलोत राजवंश की कुलस्वामिनि श्री बाण माताजी का गाँव अजबरा में स्थित यह मन्दिर अति प्राचीन हैं , 490 साल पुराणा यह मन्दिर 1525 में ठाकुर साहब भोजराज सिंह ने बनवाया था , जो कि मन्दिर बहुत पुराना होने के कारण 11 जून 2011 को मन्दिर की नीव रखी गयी ।
17 मई 2012 में मन्दिर का जीर्णोद्वार  हुआ  जिसमे हजारों की संख्या में भक्तों ने भाग लेकर मातेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त किया ।
आज मेवाड़ की धन्य धरा पर मातेश्वरी का पाट स्थान चित्तौड़ गढ़ दुर्ग में हैं , मेवाड़ में ऐसे ही कई गाँव , शहर हैं जहाँ श्री बायण माताजी के बड़े बड़े मन्दिर लेकिन पूर्ण व् स्पष्ट जानकारी न होने के कारण सभी मन्दिरों का पता नही लग पा रहा हैं। 
गत दो वर्षों में श्री बाण माताजी भक्त मण्डल जोधपुर - राज. के सोशल पेज आप तक लगभग 150 - 200 मन्दिरों की जानकारी आप तक पंहुचाईं हैं आगे भी हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि आप तक मातेश्वरी का शुद्ध एवम् सही इतिहास और जानकारी पहुँचे ।
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आपकी वजह से अगर किसी भक्त को उसके नजदीकी क्षेत्र में उसकी कुलदेवी के मन्दिर की जानकारी मिले तो यह पुण्य का काम हैं।

सुख करण जग भरण तूं , पार करण भवघाट ।
नमों माँ म्हारी ब्राह्मणी , विश्वरूप वैराट ।।

चारों वैद में वर्णन थारों , चारों लोक में शेष बरनी ।
राणा राज अर रंक पर , माँ तूं छत्र धरनी ।।

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Monday 20 June 2016

श्री ब्राह्मणी माताजी बलिया , उत्तरप्रदेश

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श्री ब्राह्मणी माता मन्दिर बलिया ( उत्तरप्रदेश ) :
गंगा व घाघरा के बीच बसे जनपद में प्राचीन समय से ही पौराणिक स्थानों की भरमार रही है। आस्था के यहां कई केंद्रो में नगर से सटे पुरातन काल के मां ब्रह्माणी मंदिर का कुछ अलग ही महत्व है। पुराणों में भी इस मंदिर का वर्णन मिलता है। पुराणों से ही मिलने वाली जानकारियों को मानें तो हनुमानगंज से सटे ब्रह्माईन गांव में स्थित इस मंदिर में यज्ञ में पधारे अपने माता-पिता को महर्षि भृगु ने ठहराया था। बाद में सूर्यवंश के राजा सुरथ ने माता वीरणी व ब्रह्मा जी की स्मृति में ब्रह्माणी मंदिर का निर्माण कराया। मौजूदा समय में यह मंदिर संपूर्ण भव्यता के साथ आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर में माता के दर्शन के लिए दूरदराज से लोगों का जनसमूह उमड़ता है। नौ दिनों तक माता के भव्य रूपों की पूजा के साथ ही यहां अष्टमी के दिन होने वाली निशा पूजन का कुछ अलग ही महत्व है।
बाण , बायण और ब्राह्मणी आदि नामो से माँ सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हैं ।
बाणासुर का संहार करने हेतु माँ भगवती ने अवतार लिया था । बाणासुर श्रीकृष्ण से मिले जीवनदान के बाद और निरंकुश हो गया था. शिव-पार्वती की तो कृपा उस पर पहले से ही थी. बाणासुर का वध कैसे हुआ. उसका वध शक्ति की ही अंश एक कुँआरी देवी ने किया. इस पर कई प्रचलित कथाएं हैं.
दक्षिण भारत में उन्हें कन्याकुमारी कहा जाता है और उत्तर भारत में सूर्यवंशियों की आराध्य देवी बायण माता. यह कथा भी बहुत प्रचलित है।

सप्तमातृका में से एक ब्रह्माणी अथवा ब्राह्मी माता सृष्टि रचयिता ब्रह्मा की शक्ति है। यह पीले रंग में दर्शायी जाती है। इनके चार सिर हैं। इनके चार भुजायें हैं। यह देवी कमण्डल, कमल पुष्प, माला तथा पुस्तक धारण करती है। इनका वाहन हंस है। ब्रह्माणी माता कई समाजों द्वारा कुलदेवी के रूप में पूजी जाती है।
ब्रह्माणी माता के मन्दिर जहाँ मावड़ी बाण , बायण माता न कहला कर ब्रह्माणी माता के रूप में पूजी जाती हैं जो बड़े मन्दिर हैं उनकी जानकारी :

1. फलौदी ब्रह्माणी माता मन्दिर, मेड़ता रोड़, नागौर (राजस्थान)
2. ब्रह्माणी माताजी मंदिर, बारां (राजस्थान)
3. ब्रह्माणी माताजी मंदिर, हनुमानगढ़ के समीप पल्लू नामक स्थान पर (राजस्थान)
4. ब्रह्माणी माताजी मंदिर, सेवाड़ी- पाली (राजस्थान)
5. ब्रह्माणी माताजी मंदिर, सारंगवास- पाली (राजस्थान)
6. ब्रह्माणी माताजी मंदिर, खोड़ियारनगर- अहमदाबाद (गुजरात)
7.ब्रह्माणी माताजी मंदिर,ग्राम: कल्याणा, तह: पाटन जिला: मेहसाना (गुजरात)
8.ब्रह्माणी माताजी मंदिर, गगोदर- कच्छ (गुजरात)
9.ब्रह्माणी माताजी मंदिर, कलोल के समीप डिंगचा- गांधीनगर (गुजरात)
10.ब्रह्माणी माताजी मंदिर,वांकानेर के समीप नाना जगदेश्वर (गुजरात)
11.ब्रह्माणी माताजी मंदिर, ग्राम: कमली, तह. उंझा, जिला: मेहसाना (गुजरात)
12.ब्रह्माणी माताजी मंदिर, नन्दासन के समीप शेधावी- मेहसाना (गुजरात)
13. ब्रह्माणी माताजी मंदिर, भीमपोर- सूरत (गुजरात)
14.ब्रह्माणी माताजी मंदिर, चनस्मा- पाटन (गुजरात)
ब्रह्माणी माताजी मंदिर, चम्बा के समीप भरमौर (हिमाचल प्रदेश)

Saturday 18 June 2016

सज धज बेठी चित्तौड़ गढ़ माय चित्तौड़ गढ़ राय

सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

चार भुजा थारे शोभती , धनुष-बाण हाथा माय ।
सिंवरता सेवक रे हेले , करे मावड़ी सहाय ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

हंस सवारी सोवणि , कुण्डल काना माय ।
नथ नाक में सुहावणी , अति मुख थारे सुहाय ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

रतन सिंघासण आपरे , पीळा वस्त्र सोवणा ।
सेवकिया री अरदास पर , आवो बायण माँ पावणा ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

अनु उतारे आरती , नित उठ गुण थारा गावे ।
महेंद्र मावड़ी अरज करे , सुख शरणा में पावे ।।
सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

सज धज कर सोळा श्रृंगार , बेठी चित्तौड़ गढ़ रे माय ।
मूरत थारी मन भावे , प्यारी म्हारी चित्तौड़ गढ़ राय ।।

माँ तू चित्तौड़ गढ़ धनियाणी

बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी..

द्वापर युग रे मायने , बाणासुर अत्याचारी ....
मात ब्रह्माणी मिटावियों , धरती रो भार भारी...
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्माणी....
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी...

बप्पा रावल आपरी , नित नेम सु पूजा किणी...
थू दयालु दातार भवानी , गढ़ चित्तौड़ री गादी दिणि..
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी..

लक्ष्मण पाटण पधारिया , स्वयंवर जितायो भारी..
पाटण सु शिशोदा पधारिया , माँ म्हारी चार भुजा धारी...
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी..


अनुराधा अरज करे , राखों शरणा में थारी..
महेंद्र मनाया आवजो , होय हंस असवारी ...
बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी..

बाण , बायण सु मैं मनाया , थे हो माँ ब्रह्मणी ...
सेवकिया री सहाय करो , माँ गढ़ चित्तौड़ धणियाणी

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