Thursday 22 October 2015

Shree Banmataji

कठ जाय कहूँ दुखड़ा , कुण सुणे मो अरजी ।
बायण शरण में आवियो , जो करे थारी मरजी ।।

दुखी होय दुनिया सु , बायण आयो शरण तिहारी ।
दुखड़ा मेट शरण जग दीजो , धनियाणि माँ म्हारी ।।

भजन करू भक्ति करू , नित उठ ध्यावुं थाने ।
सेवकीयो शरणे पड़े , दरश दो बायण माने ।।

गुण गाऊ भजन सुनाऊ , सब ने सुनाऊ थारी महिमा ।
सेवकीयो थारो लारे रह गयो , बायण हालो थोड़ा धीमा  ।।

सोमवार चुरमो बनाऊ , मंगल ने मिठाई ।
सोने चांदी रा बर्तन माई , रूस रूस भोग लगाईं ।।

बुधवार बाटा बनाऊ , छप्पन साग स्वादिष्ट ।
बिजळ बाव ढ़ोळावणा , बायण सी नही इष्ट ।।

गुरु को गरम लापसी , देशी घी में नाकि ।
माळवियो माई गुड़ मळाऊ , पिस्ता बदमा नी बाकी ।।

शुकर ने सिरो सोजी रो , शनि ने सात पकवान ।
रवि रावळो आपरो , जो हुकम रखु खान पान ।।

उजाळि अष्टमी रात आपरी , जमलो जगाऊँ जोर ।
बण पागल थारी भगति में , नाचू चारो पोर ।।

संत सुर न्योतो जमले दूँ , आजो हंस असवारी ।
धनुष बाण धारण किया , महिमा थारी भारी ।।

सोळह शिणगार सज आवजो , झांझर रे झणकार ।
माँ बेटो घूमर खेल स्या , होसी आनंद अपार ।।

अभिलाषा एक अरदास है , कृपा कीजे धनियाणि ।
महेंद्र सिंह ने दरश दीजो , मात म्हारी ब्राह्मणी ।।

No comments:

Post a Comment

Featured post

कुलदेवता श्री सोनाणा खेतलाजी का संक्षिप्त इतिहास

सोनाणा खेतलाजी का सक्षिप्त इतिहास- भक्तों चैत्र की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि हैं वैसे तो पुरे भारत वर्ष में आज से नवरात्रि शुरू होंगे लेकिन ...