ध्यावु थाने धणियाणि , आजो म्हारे आज ।
रेजो रात आज री , केसु मन रो राज ।।
सुणो सेवक री तारिणी , कह रह्यो लालो बात ।
तू धणियाणि चित्तोड़ री , बायण सु विख्यात ।।
रेजो अजूणि रात रा , सिड़ा स्यु अंगियो काँछळी ।
पाटण पटोला लाइने , संग ल्यावो चुंदड़ी पिळी ।।
कोढ़ करी ओढ़ावु माँ , ओढ़ो थे धणियांणी ।
कसुम्बल तारा वाळी चुंदड़ी , अति शोभे कल्याणी ।।
रेवो रात आज री , रंदाऊ सिरो लापसी ।
आठम रात उजाळि , भक्त हाथा सु जिमावसी ।।
काना कुंडल लावसु , पायल पगल्या माय ।
नाक नथ शोभती , बिंदी ललाड़ माय ।।
चुड़लो हाथा सोवणो , गजदन्त सु देवु बणाय ।
सेवकीयो शरण में , महेंद्र सिंह सु जणाय ।।
अनुराधा बेटी आप री , कर रही नित गुणगाण ।
प्रदीप परम् भक्त आपरा , जय हो चित्तोड़ धणियांण ।।
जय माँ बायण जय एक्लिंग जी जय खेतलाजी
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