Tuesday 28 July 2015

जय माँ बायण

बसती है माँ बायण , मन के मंदिर में,
कर लो उनसे पहचान मन के मंदिर में,
कर लो उनको प्रणाम मन के मंदिर में.......
सारा जग विस्तार उन्हीं का, रुप उन्हीं का, नाम उन्हीं का,
जन्माये-पाले-संघारे, सकल नियंत्रण काम उन्हीं का,
वो हैं ईश महान मन के मंदिर में,
बसती है माँ बायण मन के मंदिर में........
गली-गली, घर-घर की जाने, भीतर-बाहर सबकी जाने,
होते प्रकट दया दर्शाने, आते वही कृपा बरसाने,
वो हैं करुणावान मन के मंदिर में,
बसती जय माँ बायण मन के मंदिर में.......

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