तुम गगन के चंद्रमा हो, मैं धरा की धूल हूँ।
तुम मेवाड़ की माता हो, मैं समर्पित फूल हूँ।
तुम काया में छाया, तुम संकल्प, मैं भूल हूँ।
तुम महासंगीत के स्वर, मैं अधूरी श्वास हूँ।
तुम पूजा में पुजारी, तुम सुधा, मैं प्यास हूँ।
तुम उषा की लालिमा से, भोर के सिंदूर हो।
मेरे प्राणो के तुम गुंजन, मेरे मन मयूर हो____
तुम मालिक मैं तुम्हारा सेवक हु
जय माँ बायण जय एकलिंग
शुभसंध्या
#maabaneshwari
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