Tuesday 21 July 2015

श्री बाण माताजी का चमत्कार

श्री बाण माताजी का चमत्कार
बात उस समय की है जब चित्तोड़ पर पुनः फतेह हासिल करने के लिए अलाउद्दीन ख़िलजी ने अपनी विशाल सेना के साथ चित्तोड़ पर आक्रमण कर दिया । उस समय महाराणा हमीर सिंह मेवाड़ के राणा थे । फौज ने चित्तोड़ दुर्ग के चारों तरफ घेरा डाल दिया ।
कई दिनों के प्रयास के बाद भी ख़िलजी की सेना चित्तोड़ के दुर्ग को भेद नही पाई और ऐसे करते करते उन्होंने दुर्ग को छः महीनो तक घेरे रखा ।
दुर्ग में स्थित सभी राजपरिवार , मेवाड़ी सेना और नागरिको का बाहर आना जाना बंद हो गया , धीरे धीरे दुर्ग में अन्न धन्न की भी कमी आने लगी ।
खिलजी की सेना मेवाड़ की सेना से कई अधिक थी , राणा हमीर सिंह को कोई भी रास्ता नजर नही आ रहा था जिससे चित्तोड़ भी उनके हाथों से न जाए और मेवाड़ की जनता को भी कोई क्षति ना पहुचे ।
फिर एक राणा हमीर सिंह जी ने अपनी कुलदेवी की आराधना की " हे माँ जग जननी दुखियो के दुःख हरणी मेवाड़ कल्याणी , बाणासुर संहारिणी आज आपके इस मेवाड़ राज्य पर संकट आया है आप अपने पुत्र की सहायता करो माँ "
राणा हमीर सिंह माँ बायण के भक्त थे , केलवाड़ा स्थित मंदिर राणा हमीर सिंह ने ही बनाया था , हमीर सिंह माँ बायण के साधक थे और साधक की आराधना कभी विफल नही होती ।
जैसे ही राणा हमीर सिंह ने माँ बायण को पुकारा माँ बायण ने हमीर सिंह को दर्शन देकर वचन दिया ' कि किले में किसी भी प्रकार से कमी नही होगी खाली अन्न धन्न के भण्डार भरेंगे ।
और युद्ध में मैं स्वयं तुम्हारी सहायता करुँगी " महाराणा हमीर सिंह ने माँ बायण के इस वचन को सुनते ही राजपूती फौज को तैयार किया और किले के द्वार खोल दिये ।
मातेश्वरी के वचन अनुसार मेवाड़ के सम्पूर्ण अन्न धन्न के भण्डार भर गए । युद्ध कई दिनों तक चला मातेश्वरी बायण स्वयं महाराणा हमीर
सिंह के साथ युद्ध कर रहे थे । हमीर सिंह और रजपूती फौज ख़िलजी की सेना को गाजर मूली की तरह काटती गई , ख़िलजी सहित बची कूची सेना को रण छोड़ कर भागना पड़ा और युद्ध में एक बार फिर माँ बाणेश्वरी के शुभ आशीर्वाद से राणा हमिर सिंह जी की विजय हुई । महामाया श्री बाण माताजी की कृपा से किले में अन्न धन्न की कमी नही रही , युद्ध में सहायता करने और अन्न धन्न के भण्डार भरने पर महाराणा हमीर सिंह ने बाण माताजी के मंदिर के ठीक पास अन्नपूर्णा माता का मंदिर बनाया और बाण माताजी के साथ निरंतर पूजा की जाने लगी ।
बाण माताजी के मंदिर में भक्तों दुख दूर होते है , जो यहाँ सच्चे मन से आता है वह खाली हाथ वापस नही जाता ।
सिसोदिया गहलोत वंश की रखवाली श्री बाण माताजी की सदा जय हो ।
" चित्तोड़ संकट मेटणी , बायण म्हारी मात ।
महाराणा नित ध्यावता , राखजे सिर पर हाथ ।।
जय माँ बायण जय एकलिंग जी

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