Tuesday 21 July 2015

Shree Ban Mataji

धीन धरती मेवाड़ की, धीन चित्तोड़ को धाम
धीन धीन माता बाणेश्वरी, मै जपु तुम्हारो नाम
चित्तोड़ मंदिर  हद बनीयो, मुर्त पारष जान
माह महीने में मेलो लगे, सब जग करे बखान
सिंगासन सोने जडियों, शोभा कही न जाय
पूजा करते प्रेम से, दिल में आनन्द आय
सिवरू ब्राह्मणी मात को, हिर्दे बसो हमेश
भक्त जनो की विनती सुनो, काटो सब कलेश
दिन दुखियो की मात हो , माँ मेरी बाणेश्वरी मात 
दुख मिटावो दुखियों का, तो सिर पर धरजो हाथ
चित्तोड़ गढ़ की शोभा बनी, माँ बाणेश्वरी आपसे
नर नारी जो चरणे आया ,छुट गया सब पाप से
सेवक जिसने है तुझे पुकारा , सवारे उसके तूने काज ।
हमीर सिंह पर कृपा तेरी , राखी धरम की लाज ।
बप्पा , लक्ष्मण , हमीर सिंह , करे नित तेरा गुणगान ।
सिसोदिया गहलोत वंश की सहाय करो , उगते भांण ।
ममहेन्द्र सिंह तुम्हारी , सद बुद्धि करजो सहाय ।
मेवाड़ की तू धनियाणि , चित्तोड़ दरबार म्हाने दियो बुलाय

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