श्री बाण माताजी की छोटी प्रतिमा राणा लक्ष्मण सिंह ( राणा हमीर सिंह जी के दादा ) सिद्धपुर से राजकन्या , जिसका विवाह राणा लक्ष्मण सिंह के साथ हुआ था अपने साथ शिशोदा ले आये और उस प्रतिमा को वही प्रतिष्टित किया और अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा की ।
ख़िलजी के साथ हुए युद्ध में राणा लक्ष्मण सिंह और अरि सिंह वीरगति को प्राप्त हुए , घायल अवस्था में अजय सिंह ने शिशोदा को संभाला और हमीर को बुला कर उसे शिशोदा की जागीर दी ।
हमीर सिंह ने अपनी आस्था का केंद्र शिशोदा को न बना कर केलवाड़ा को बनाया । वही इस जागीर की राजधानी बनी ।
हमीर सिंह शिशोदा से बायण माता की छोटी प्रतिमा लाकर केलवाड़ा में स्थापित की और वहा बाण माताजी का मंदिर बनाया और वहा के पुजारी आमेटा परिवार को बनाया , यह मंदिर आज भी केलवाड़ा में है ।
हमीर सिंह बाण माताजी के साधक थे और जो साधक होते है उनकी हर इच्छा पूर्ण होती है । ठीक ऐसी ही घटना हमीर के साथ घटी और उसने बाण माताजी के आशीर्वाद से पुनः मेवाड़ पर गुहिल वंश का ध्वज लहराया ।
श्री बाण माताजी भक्त मण्डल जोधपुर का मुख्य उद्देश्य श्री बाण माताजी का इतिहास, दोहे, श्लोक भजन, मंदिरों की जानकारी एवं बाण माताजी के चमत्कारों को जन-जन तक पहुँचाना हैं।
Wednesday 22 July 2015
श्री बाण माताजी मन्दिर शिशोदा
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