Monday 27 July 2015

श्री बाण माताजी कैलाशनगर मंदिर ( सिरोही )

मैंने कभी 'तुम्हें' देखा नहीं , पर में ये सोच कर हर्षित हो उठता हू कि तुम्हारी दृष्टि हर समय मुझ पर है । मैंने कभी 'तुम्हें' सुना भी नहीं , पर में ये सोच कर रोमांचित हो उठता हू कि तुम मेरे वाणी और मौन दोनों स्वरो को सुनते हो। में तुम्हें जानता भी नहीं हू , पर में गर्वित हो उठता हू सोचकर कि, 'तुम' तो मुझे जानते हो । न देखा न सुना न जाना, फिर भी में इस संसार में केवल और केवल तुम्ही से प्रेम करता हू। तुम , मेरे प्रति इस प्रेम से भी बढ़कर कोई भाव रखते होगे। मुझे तुम सुख दो या दुख , फर्क नहीं पड़ता - में यही सोच कर आनंदित हो जाता हू कि , 'तुम' मुझे दे रहे हो। में नहीं जानता मुझमें इतनी सामर्थ्य , योग्यता है या नहीं कि , में तुम्हारा बन सकु' तुममे स्थित हो सकु .... पर ये सोचकर में समाधिस्थ हो जाता हू कि ' तुम तो मेरे ही हो' , नित्य मुझमे स्थित हो......||माँ बायण आपकी सदा जय हो.....
जय माँ बायण जय एकलिंग जी
#maabaneshwari

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