श्री बाण माताजी मन्दिर कुम्भलगढ़ ( दुर्ग )
सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी श्री बाणमाता जी का यह मन्दिर महाराणा कुम्भकरण सिंह ( राणा कुम्भा ) ने 14 वीं सदी में कुम्भलगढ़ दुर्ग के निर्माण के समय बनाया था, मातेश्वरी का यह मन्दिर कुम्भलगढ़ दुर्ग में ही विद्यमान हैं।
राणा कुम्भा ने दुर्ग की रक्षा का भार भगवती को सौपा था, जिस अजेय गढ़ की रक्षा अपने पाट स्थान की भाँती आज तक बाणमाता करती आ रही।
कुम्भलगढ़ किले में बैठी, जग री पालनहार |
कुम्भकरण सिंह सोपियो, किले वाळो भार ||
माताजी मेवाड़ रा, आप हो रण री देवी |
विपदा में हैं सुमरिया, माँ सहाय करो सेवी ||
आजै सदा उतावळी, भीड़ मतवाळी भड़ |
कुंभों केवे मावड़ी, दरशन दो सिंह चढ़ ||
🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय
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