जय भवानी बाणमाता, तू ही चित्तौड़गढ़ धणियाणी |
तूँ ही बायण तूँ ब्रह्माणी, तूँ ही सेवक सहाय सर्वाणि ||
तूँ ही ब्रह्मा शिव विष्णु हैं, जग जिव जुगत तू ही उपजाणि |
काळा-गोरा लांगड़ आगे, तूँ ही डमडमाट कर डमकाणी ||
बाणासुर री बायाँ भांजी, चमचमाट कर चमकाणी |
सिंह सवारी हंसला री हाकणार, दानव दल पर मलफाणी ||
लहू लाल रागस भर खप्पर, तू गट गटाक कर गटकाणी |
लक्ष्मण सिंह जी ने वचन दीनो, बणगी माँ तूँ ब्रह्माणी ||
हँसले चढ़ बायण तूँ आज्यै, संग सातू बेहना लाणी |
अनु आराधा आप पधारी, जय जय मात ब्रमांड रचाणि ||
भव सागर भयहीन करि, इण सागर तूँ तिरवाणी |
किरपा कर महेंद्र पर माड़ी, भगता ने भक्ति बगसाणी ||
🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय
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