Wednesday 2 November 2016

नमामि भक्त तारिणी

बाण बायण ब्राह्मणी , धनुष-बाण धारिणी |
चित्तौड़गढ़ की धणियाणी , नमामि भक्त तारिणी ||
मधु-कैटप संहार के , सहाय करण अवतार ले |
भूमि भार कम कियो , बाणासुर मार के ||
कष्ट सब निवारिणी , शस्त्र हस्त धारिणी |
चित्तौड़गढ़ की धणियाणी , नमामि भक्त तारिणी ||
चार भुजा धार के , हंस सवार हो गई |
याद किया जिसने दुःख में , विपदा उसकी मिट गई ||
सीस मुकुट धारिणी , कष्ट कलेश निवारिणी |
चित्तौड़गढ़ की धणियाणी ,नमामि भक्त तारिणी ||
बाणासुर संहार को , कन्या कुमारी रूप धरा |
बन वरदायिनी त्रेतायुग में , पांडवो का दुःख हरा ||
पुष्पमाल कारिणी , शंख को फुकारिणी |
चित्तौड़गढ़ की धणियाणी , नमामि भक्त तारिणी ||
सिंह पे सवार होके , नेत्र जब हिला दिया |
इस धरा के दानवों को , धूल में मिला दिया ||
सदा ही शुभविचारिणी , सकल विघ्न टारिणी |
चित्तौड़गढ़ की धणियाणी , नमामि भक्त तारिणी ||
सुपारी, पान, लौंग, भेंट, नारियल के संग में |
पग पायल पीला वस्त्र , श्री बायण के अंग में ||
मम सदा निहारिणी , अरि का रक्त चारिणी |
चित्तौड़गढ़ की धणियाणी ,नमामि भक्त तारिणी||

जय माँ बायण

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