Thursday 24 November 2016

श्री बायण माताजी स्तुति ( पार्ट 02 )

श्री बायण माताजी की स्तुति ( पार्ट 02 )

आदि प्रकृति, विधात्री, कल्याणस्वरूपा, सकल कामनाओं तथा सभी ऋद्धियों-सिद्धियों को प्रदान करने वाली हे बायणेश्वरी ! मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ बाणेश्वरी ! मैंने इस तथ्य को जान लिया हैं कि जड़-चेतन संसार आप में ही समाया हुआ हैं और आपसे ही सृजन-प्रलय होते रहते हैं । इस संसार की सत्ता में आपकी ही शक्ति हैं और इस रूप में आप ही लोकमयी हैं । मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे जगत जननी बाण माता ! आप ही इस संसार का भरण-पोषण करती हैं । आप की शक्ति से ही सूर्य-चंद्रादि चमकते और संसार को प्रकाश-ऊष्मा प्रदान करते हैं । इन सबमें आप ही अदृश्य रूप में विराजमान हैं । मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बायण माता ! मेरी आपसे यही विनती हैं कि मेरा मस्तक सदा आपके चरण कमलों में नत रहे । मेरा चित्त सदा आपके रूप-सौन्दर्य में आसक्त रहे, मेरे कानों में सदा आपके गुणों के उच्चारण की ध्वनि आती रहे और मेरे नेत्र आपके चरण कमलों के दर्शन करते रहे । हे माँ ! मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे चित्तौड़ स्वामिनी ! आपके बिना इस संसार की कोई सत्ता ही नही । आप ही इस समग्र जड़ चेतनमय संसार में व्याप्त हो रही हैं । जिस प्रकार शक्ति के अभाव में मनुष्य असमर्थ हैं-यही सभी ब्रह्मादि देवता, यक्ष, किन्नर, गंधर्व आदि असमर्थ हैं । मेरा आपको कोट-कोटि प्रणाम ।
हे बाणासनवती ! बुद्धिमानों में बुद्धि और शक्तिमानों में शक्ति तथा कीर्ति, कांति, लक्ष्मी, विद्या, संतुष्टि, रति, विरति तथा मुक्ति आप ही हैं। आपकी ही विभूति का सर्वत्र साम्राज्य हैं । मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ ब्रह्माणी ! आप प्राणियों के मोक्ष-साधनरूपी कल्याण के लिए ही विश्व की सृष्टि करती हो, वस्तुतः जिस प्रकार समुद्र की अनन्त लहरें उसकी अनन्तता को ही प्रकट करती हैं, उसी प्रकार यह विविधरूपा सृष्टि भी आपकी शक्ति का अणु प्रदर्शन मात्र ही हैं । मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे वरदायिनी ! हे विद्यास्वरूपणी ! हे कल्याणकारिणी ! हे सकल अभीष्ट प्रदान करने वाली माँ ! मैं आपके चरणों में नतमस्तक होकर आपसे ज्ञान के प्रकाश की याचना करता हूँ ! बाण मैया, मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।

जय माँ बायण

🌞 चित्तौड़गढ़ री राय , सदा सेवक सहाय 🌞
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