Saturday 17 September 2016

कुलदेवी-कुलदेवता की स्थापना अति आवश्यक हैं

*सिसोदिया गहलोत वंश कुलस्वामिनि श्री बाण माताजी*
               【 @[306557149512777:] 】

कुलदेवी और कुलदेवता का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता हैं , इनकी पूजा आदिकाल से चलती आ रही हैं , इनके शुभ आशीर्वाद से कोई भी शुभ कार्य का शुभारम्भ नही होता हैं । कुलदेवी और कुलदेवता कुल रक्षा हेतु हमेशा सुरक्षा घेरा बनाए रखते हैं , आपके द्वारा किए गए पूजा-पाठ , व्रत कथा या जो भी आप धार्मिक कार्य करते हो उन्हें आपके इष्ट तक पहुँचाते हैं। कुलदेवी की कृपा से ही वंश में प्रगति होती हैं , लेकिन आज के आधुनिक युग में लोगो को यह नही पता कि हमारे कुलदेवी या कुलदेवता कौन हैं? जिसका परिणाम आज हम भुगत रहे हैं , पता ही नही चल रहा कि इतनी मुसीबतें कहाँ से आ रही हैं , बहुत से लोगो ऐसे भी हैं जो पूजा-पाठ , ध्यान , हवन करने के बाद भी परेशानियों से घिरे रहते हैं , परिवार में सुख-शान्ति नही होती , बहुत अच्छी पढ़ाई करने के बाद भी बेटे की नोकरी नही लगती , पिता-पुत्र में झगड़ा , बेटी की शादी नही होती और शादी हो तो संतान नही होती , ये सब संकेत हैं कि आपके कुलदेवी कुलदेवता आपसे रुष्ट हैं । आपके ऊपर जो कुलदेवी का सुरक्षा चक्र हैं वह हट चुका हैं , जिसके कारण नकारात्मक शक्तिया आप पर हावी होती हैं , फिर चाहे कितने भी पूजा पाठ , हवन करवालों कोई हल नही निकलता कोई लाभ नही होता ,  लेकिन आधुनिक लोग इन बातों को नही मानेंगे ।
आँखे बन्द करने से रात नही हो जाती , सत्य सत्य ही रहेगा इसीलिए आपसे निवेदन हैं कि आपकी कुलदेवी की शरण में जाए , वही आपके कष्टों का निवारण करेगी , आपकी गलती को माफ़ करेगी , आपके दुखों का हरण करेगी ।
25 वर्ष पूर्व सिसोदिया गहलोत वंश अपनी कुलदेवी के प्रति उजागर नही था , इन विगत वर्षों में अपनी कुलदेवी के प्रति अथाह श्रद्धा अपने मन में प्रकट हुयी हैं , वे जागृत हुए और कुलदेवी के शरण में गए माँ ने उनको क्षमा कर उद्धार किया ऐसी वरदायिनी , चित्तौड़ गढ़ राय , करुणामयी , ममतामयी , तारणहार ,  भक्त उद्धारक , पुत्र दायिनी , वैभव दायिनी , धन दायिनी महामाय राज राजेश्वरी श्री बाण माताजी की सदा ही जय ।
माँ की महिमा ही निराली हैं जिस जिस ने कुलदेवी श्री बाण माताजी और कुलदेवता श्री बाण माताजी के लाड़ले प्यारे पुत्र श्री सोनाणा खेतलाजी की घर में स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू की हैं उनसे दुःख-दर्द व् हर तरह की नकारात्मक शक्ति कोसो दूर रहने लगी हैं । उनके घर में हजारों खुशिया आई हैं , माँ साथ में लक्ष्मी व् कुबेर का खजाना लाइ हैं ।
आज देश के प्रधानमन्त्री भी श्री बाण माताजी के कुल के ही हैं ।
सिसोदिया गहलोत वंश की कुलदेवी श्री बाण माताजी ने हमेशा से ही अपने कुल की रक्षा करती आई हैं और अपने वंश का पालन-पोषण करती आ रही हैं।
अतः जो भक्त इस पथ से भटके हुए हैं उनसे निवेदन हैं कि अपने घर में कुलदेवी श्री बाण माताजी और कुलदेवता श्री सोनाणा खेतलाजी की स्थापना कर मनवांछित फल प्राप्त करें ।

करो आराधना कुलमात री , भरसी अन्न धन रा भण्डार ।
करो घर मन्दिर में स्थापना  , संग ले सोनाणा सरकार ।।
भूप दिप करो आरती , गावो मंगला सार ।
ढोल थाळी ती माँ-बेटा ने बदावो , होसी दूर अंधार
खेतल अगवाणी माँ बाण रे , होय श्वान असवारी ।
बायण बेठा मुळक रह्या , मूरत लागे प्यारी ।।

श्री बाण माताजी जिन गोत्रों की कुलदेवी हैं , उनकी सूचि
सुर , संत , शूरवीरों की धरती राजस्थान में देवियों की पूजा का विशेष महत्व हैं । कुल की रक्षा एवम् पालन पोषण करने वाली देवी कुलदेवी कहलाती हैं , हर गोत्र की एक अलग कुलदेवी और कुलदेवता होते हैं , इसी तरह जिन कुलों की कुलदेवी श्री बाण , बायण , ब्राह्मणी माताजी हैं , वे गोत्र हम आपको निचे बता रहे हैं ।

सिसोदिया गहलोत राजपूत जिन खांप की कुलदेवी श्री बाण माताजी वे निचे दिए गए हैं , वैसे तो सिसोदिया या गहलोत कहने पर पता चल जाता है कि उनकी कुलदेवी बाण माताजी है लेकिन कोई समझने में कठिनाई ना हो इसीलिए मैं आपको सिसोदिया वंश की 24 शाखा और गहलोत वंश की 25 शाखा से अवगत कराता हूँ जिनकी कुलदेवी श्री बाण माताजी हैं ।

सीसोदियोँ की 24 खांप है
1 चन्द्रावत
2 लूणावत
3 भाखरोत
4 भंवरोत
5 भूचरोत
6 सलखावत
7 सखरावत
8 चूंडावत
9 मौजावत
10 सारंगदेवोत
11 डूलावत
12 भीमावत
13 भांडावत
14 रुदावत
15 खीँवावत
16 कीतावत
17 सूवावत
18 कुंभावत
19 राणावत
20 शक्तावत
21 कानावत
22 सगरावत मालवा
23 अगरावत
24 पूरावत

24 शाखा गहलोत शिशोद वंश
रावल बापा जी के 25 कुंवर हुए तथा 25 शाखा गहलोत
शिशोद वंश कहलाये !
1. आहाड़ा
2. कुचेरा ( कुछ कुचेरा गहलोत राजपूत स्वयं की कुलदेवी श्री अम्बा भावज मोरप्पा माताजी को बताते है , लेकिन लेकिन उनकी भी कुलदेवी श्री बाण माताजी ही हैं ।
3.  हुल
4. केलवा
5.पिपाडा
6. भीमल
7.  भटेवरा
8.  अजबरिया
9. मंगरोप
10.  आसावत
11.  बिलिया
12. कडेचा
13. मांगलिया
14. ओजाकरा
15. तिकमायत / तबडकिया
16. बेस
17. धुरनिया
18. मुन्दावत
19. डालिया
20.  गोदा
21.  दसाइत
22. तलादरा
23. भूसालिया
24.  जरफा
25. टवाणा

अन्य गोत्र जिनकी कुलदेवी श्री बाण माताजी है

अणदा - ब्राह्मणी माताजी - सोनाणा , सारंगवास
आगलुड़ - बाण माताजी - सोनाणा खेतलाजी
अकलेचा - बाण माताजी - सोनाणा खेतलाजी
आडवानी - ब्राह्मणी माताजी
आँजणा - ब्राह्मणी माताजी
उदेश - ब्राह्मणी माताजी
उंटवाड़ - ब्राह्मणी माताजी
ओड़ाणी - ब्राह्मणी माताजी
कलसोणिया - ब्राह्मणी माताजी
करोलीवाल - ब्राह्मणी माताजी
करड़ - ब्राह्मणी माताजी
काबरा - बाण माताजी
कांदलि - ब्राह्मणी माताजी
काला - ब्राह्मणी माताजी
कुण्डल बार - ब्राह्मणी माताजी
केलवा - बाण माताजी
खाटणा - ब्राह्मणी माताजी
गर्ग - ब्राह्मणी माताजी
गदेचा - बाण माताजी
गगराणि - बाण माताजी
गठाणी - बाण माताजी
गहाणि - बाण माताजी
गगलोत भाटी - बाण माताजी
गिलड़ा - बाण माताजी
गोराणा - बाण माताजी
गोदारा - बाण माताजी
गोघात - बाण माताजी
गोसलिया - ब्राह्मणी माताजी ( डीडवाना बामणी )
गोलिया - ब्राह्मणी माताजी
गौतम - बाण माताजी
घोड़ेला - ब्राह्मणी माताजी
चांदेरा - ब्राह्मणी माताजी
चिंचट - ब्राह्मणी माताजी
चित्तौड़ा - बाण माताजी
चेलाणा - ब्राह्मणी माताजी
चोहणिया - ब्राह्मणी माताजी
जाड़ोति - ब्राह्मणी माताजी
जांगला सेवग - ब्राह्मणी माताजी
जागरवाल - ब्राह्मणी माताजी
जोण - ब्राह्मणी माताजी
झुटाणा - बामणी माताजी
टांक - ब्राह्मणी माताजी
डांगी - ब्राह्मणी माताजी
डाबी - ब्राह्मणी माताजी
तरपासा - ब्राह्मणी माताजी
दगड़ावत - ब्राह्मणी माताजी
दधिवाड़िया - ब्राह्मणी माताजी
धनदे - ब्राह्मणी माताजी
नागी - ब्राह्मणी माताजी
नागरिया - ब्राह्मणी माताजी
निवेल - ब्राह्मणी माताजी
परवतीया - ब्राह्मणी माताजी
पलासिया - ब्राह्मणी माताजी
पन्नू - ब्राह्मणी माताजी
पराडिया - ब्राह्मणी माताजी
पालड़ीवाल - ब्राह्मणी माताजी
पाचल - ब्राह्मणी माताजी
पालाच - ब्राह्मणी माताजी
पाटासर - ब्राह्मणी माताजी
पाराशर - ब्राह्मणी माताजी
पेगड़ - ब्राह्मणी माताजी
पोण - ब्राह्मणी माताजी
पोठल्या - बाण माताजी
फोदर - ब्राह्मणी माताजी
बरबड़ - ब्राह्मणी माताजी
बजोच - ब्राह्मणी माताजी
बागाणा - ब्राह्मणी माताजी
बाणिया - ब्राह्मणी माताजी
बामणिया - ब्राह्मणी माताजी
बांकलिया - ब्राह्मणी माताजी
बांभरेचा - ब्राह्मणी माताजी
बारड़ - ब्राह्मणी माताजी
बाबरिया - ब्राह्मणी माताजी
बारड़ा - ब्राह्मणी माताजी
बीजल - ब्राह्मणी माताजी
बोड़ा - ब्राह्मणी माताजी
बोसेता - ब्राह्मणी माताजी
भवरा - बाण माताजी
भायलोत - बाण माताजी
भांड - ब्राह्मणी माताजी
भारद्वाज - ब्राह्मणी माताजी
भिलात - बाण माताजी
भूक - ब्राह्मणी माताजी
भुमलिया - ब्राह्मणी माताजी
भोंडक - बाण माताजी
मंडोवरा - ब्राह्मणी माताजी
मालवी - बाण माताजी
मारोटिया - ब्राह्मणी माताजी
मगड़दिया - बाण माताजी
मारवणिया - ब्राह्मणी माताजी
मांगलिक - बाण माताजी
मिंडा - ब्राह्मणी माताजी
मेरणिया - ब्राह्मणी माताजी
मोचाला - ब्राह्मणी माताजी
राकदी - ब्राह्मणी माताजी
राणे - बाण माताजी
रालड़िया - ब्राह्मणी माताजी
रोहोटिया - ब्राह्मणी माताजी
लवत - ब्राह्मणी माताजी
लायचा - ब्राह्मणी माताजी
लाताड़ - ब्राह्मणी माताजी
लिबड़िया - ब्राह्मणी माताजी
लोलग - ब्राह्मणी माताजी
वड़किया - ब्राह्मणी माताजी
वशिष्ठ - ब्राह्मणी माताजी
विनपाल - ब्राह्मणी माताजी
सखा - ब्राह्मणी माताजी
सवार - बाण माताजी
सकुत - बाण माताजी
सरादरो - ब्राह्मणी माताजी
सेऊआ - ब्राह्मणी माताजी
आडवाणी - ब्राह्मणी माता
ओडाणी - ब्राह्मणी माता
करड़ - ब्राह्मणी माता
करोलीवाल - ब्राह्मणी माता
कलसोणिया - ब्राह्मणी माता
कांदलि - ब्राह्मणी माता
गुर्जरगोता - ब्राह्मणी माता
गेवाल - ब्राह्मणी माता
नागरिक - ब्राह्मणी माता
बैंगाणी - ब्राह्मणी माता
लूणिया - ब्राह्मणी माता
एणिया - बाण माता
कपोल - बाण माता
काकोल - बाण माता
काजोत - बाण माता
केलवा - बाण माता
खेतसि - बाण माता
निसर - बाण माता
गुगलिया - बाण माता
गेलतर - बाण माता
गोराणा - बाण माता
निसक - बाण माता
आसावत - बाण माता

विशेष सुचना - मित्रों वैसे तो बाण माताजी , ब्राह्मणी माताजी एक ही हैं बस भक्त मातेश्वरी को प्रेम से कभी बाण , बायण तो कभी बामणी , ब्राह्मणी तो कभी बाणेश्वरी माताजी कहते हैं ।
ऊपर दी गयी पोस्ट में आपको हर गौत्र में माँ के दो अलग अलग नामों का प्रयोग किया गया हैं ' बाण माताजी और ब्राह्मणी माताजी '
दिए गए गोत्रों में जिन गोत्रों के पीछे ' बाण माताजी ' लिखा है उनकी कुलदेवी निसंदेह: बाण माताजी चित्तौड़ गढ़ में विराजमान है और कुलदेवता श्री सोनाणा खेतलाजी हैं ।
उन गोत्रों की कुलदेवी का पाट स्थान चित्तौड़ गढ़ और कुलदेवता श्री सोनाणा खेतलाजी ही होंगे ।

जिन गोत्रों के पीछे ब्राह्मणी माताजी लिखा हुआ हैं , उनकी कुलदेवी का पाट स्थान वही होगा जो आपके पूर्वज जिस स्थान पर जाकर उपासना या पूजा किया करते थे या जहाँ से आप पहली बार ज्योत लाए हो ।
उदाहरण के तौर पर सिंगानिया गोत्र की कुलदेवी ब्राह्मणी , बाण माताजी ही हैं और यह गोत्र माताजी के पल्लू धाम से एक बार ज्योत लायी है या इनके पूर्वज इनको आराध्य या कुलदेवी मान कर पल्लू में विराजमान रूप की पूजा करते थे तो आपकी कुलदेवी का पाट स्थान पल्लू ही होगा ।
और अगर दी गयी गोत्रों में अगर उन्हें आज तक पता न लगा हो कि उनकी कुलदेवी बाण माताजी , ब्राह्मणी माताजी  हैं ।
अगर इस पोस्ट के माध्यम से पहली बार आपको पता चले कि आपकी कुलदेवी ब्राह्मणी माताजी या बाण माताजी है तो आप मातेश्वरी की ज्योत चित्तौड़ से ला सकते हैं श्री बाण माताजी आपकी अपने कुल का ही मानेगी ।

(Y) @[306557149512777:]

3 comments:

  1. bhadu ki KULDEVI kon or kaha ha

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  2. bhadu ki KULDEVI kon or kaha ha

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  3. My in-laws are form karwar ....
    surname is Prabhu
    please help me with kuldevi and kuldev name ...

    please help

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