मात ब्राह्मणी चित्तौड़ री , नमन करों स्वीकार |
सहाय सेवक री हंसावाळी , उण पर होय सवार ||
जो माता म्हारी ब्राह्मणी , होवे हंस सवार |
सब दुःखड़ा दूर हुवे , खुशिया वे अपार ||
चित्तौड़गढ़ की धनियाणी , कर में धनुष-बाण होय |
माँ बायण चित्तौड़राय बिना , सब काम सुफल न होय ||
विणती म्हारी मानो मावड़ी , एकण घर म्हारे आवों |
माँ-बेटा रो रिश्तों ब्राह्मणी , हैं जुगत में चावों ||
माँ बायण री सेवना , करें सब सुर नर-नार |
चित्तौड़गढ़ में बैठी मावड़ी , करें सबरो उद्धार ||
माँ बायण ही ब्राह्मणी , माता आ कन्याकुमारी |
तीन लोग और चवदा भवन में , महिमा इणरी भारी ||
भव पर लिजाय जो , वा जहाज हो आप |
मैं जहाज रा यातरी , पार उतारों आप ||
महेंद्र सिंह माँ नमन करें , म्हारी कुल देवाय |
माँ बायण रे आशीष सु , ए दोहा लिखवाया ||
अनुराधा हैं लाडली , ज्यामें आप समरूप |
सुर नर करें सेवना , भूपन की तुम भूप ||
जय चित्तौड़राय
👍 @[306557149512777:]
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