Sunday, 23 October 2016

Shree Ban MataJi Dohe 03

मात ब्राह्मणी चित्तौड़ री , नमन करों स्वीकार |
सहाय सेवक री हंसावाळी , उण पर होय सवार ||

जो माता म्हारी ब्राह्मणी , होवे हंस सवार |
सब दुःखड़ा दूर हुवे , खुशिया वे अपार ||

चित्तौड़गढ़ की धनियाणी , कर में धनुष-बाण होय |
माँ बायण चित्तौड़राय बिना , सब काम सुफल न होय ||

विणती म्हारी मानो मावड़ी , एकण घर म्हारे आवों |
माँ-बेटा रो रिश्तों ब्राह्मणी , हैं जुगत में चावों ||

माँ बायण री सेवना , करें सब सुर नर-नार |
चित्तौड़गढ़ में बैठी मावड़ी , करें सबरो उद्धार ||

माँ बायण ही ब्राह्मणी , माता आ कन्याकुमारी |
तीन लोग और चवदा भवन में , महिमा इणरी भारी ||

भव पर लिजाय जो , वा जहाज हो आप |
मैं जहाज रा यातरी , पार उतारों आप ||

महेंद्र सिंह माँ नमन करें , म्हारी कुल देवाय |
माँ बायण रे आशीष सु , ए दोहा लिखवाया ||

अनुराधा हैं लाडली , ज्यामें आप समरूप |
सुर नर करें सेवना , भूपन की तुम भूप ||

जय चित्तौड़राय

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