बाण माताजी मंदिर के पास ही मंदिर परिसर में राघवदेव का ऐतिहासिक स्मारक विद्यमान हैं। महाराणा हमीरसिंह के पुत्र क्षेम सिंह के महाराणा लाखा हुए इन्होंने सन 1383 से 1454 ई. तक राज्य किया । महाराणा लाखा के चूंडा एवं राघवदेव ज्येष्ठ एवं लघु पुत्र थे । चूंडा के सलूम्बर चले जाने के उपरान्त मारवाड़ के जोधा रणमल द्वारा धोखे से राघवदेव की यहां ह्त्या कर दी गई थी , परम्परा अनुसार राघवदेव कुलदेवी श्री बाण माताजी के दर्शनार्थ धोक देने बाण माता मंदिर गये । परम्परा अनुसार नवीन वस्त्र पहनकर कुलदेवी बायण माता के धोक लगाई जाती थी , धोखे से उनकी कमीज की बाहें आगे से सिलाई कर दी गई । ज्योहीं उन्होंने हाथ कमीज में डालें उन्हें धोखे से मार दिया गया । जिससे वही उनका स्मारक बनाया गया जो आज भी मौजूद हैं , मेवाड़ के प्रथम पितृ पुरुष के रूप में राघवदेव को ही पूजा जाता हैं ।
जय चित्तौड़राय , सदा सेवक सहाय
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