Sunday, 2 October 2016

श्री बाण माताजी दोहा

माँ बायण करती महर, बायण कदै न कोप|
महासमरथ बड़ मातपण, अदभुद बायण ओप||
माँ बायण म्हारी धनी, हूँ बायण रो दास|
धरनी पै बायण सिवा, करू न किणरी आस||
चार धाम बायण चरण, सह तीरथ सिर मोड़|
पद बायण चख परसता, पातक कटे कऱोड||

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