जय जय श्री चित्तौड़ धणीयाणी , जयति जयति श्री बाण ब्राह्मणी |
जयति श्री बायण भव भयहारी , जयति मात बायण बलकारी |
जयति मात-बायण विख्याता , जयति सर्व श्री बायण सुखदाता |
बायण रूप कियो माँ धारण , भव के भार उतारण कारण |
बायण नाम सुनी हवै भय दुरी , सब विधि होय कामना पूरी |
ब्रह्मा विष्णु महेश गुण गायो , ब्रह्माणी माँ रूप धरायों |
मात ब्राह्मणी हंस विराजत , चार भुजा माँ के अति साजत |
पग पायल बायण रे बाजत , दर्शन कर सकल भय भाजत |
मात बायण बाणासुर मारियों , सब सुर संता रो काज सारियो |
राणा लक्ष्मण स्वप्न में काली , दीन्हों वर राख्यों माँ लाली |
धिन धिन बायण माँ भय भंजन , जय बाणेश्वरी खल दल भंजन |
कर में मात धनुष-बाण साजे , चित्तौड़गढ़ में बायण बिराजै |
जो बायण निर्भय गुण गावत , अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत |
रूप विकराळ कठिन दुःख मोचन , माँ ममता भरी दोनु लोचन |
भुत पिचाश दैत्य सब डोलत , नाम बायण सेवक मुख बोलत |
महामाया आप कन्याकुमारी , तीनूं लोक में महिमा थारी |
बायण माता आप ब्रह्माणी , वेदों में माँ बाण बखाणी |
अन्धकार में आप प्रकाशा , भरत सुभक्तन कह शुभ आशा |
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन , हंस चढ़ माँ करती आसन |
आप बप्पा री सहाय करि माँ , मन आस मात पूरी माँ |
जय हो मात ब्राह्मणी री जय , नाम लिया मिलती विजय |
वरदायिनी माता तेरी जय , चित्तौड़गढ़ धनियाणी तेरी जय |
चरणा में भैरव गुणगावत , चौसंठ योगनी संग नचावत |
करों कृपा जन पर महामाया , सेवकिया रे हेले आया |
देय मात बायण जब सोटा , नासै पाप मोटा से मोटा |
हमीर सिंह रा दुःख निवारियों , सदा कृपा करि काज संवारियों |
श्री बायण जी की जय मैं लिख्यों , सकल कामना पुरण देख्यों |
🚩 चित्तौड़गढ़ री राय , सदा सेवक सहाय 🚩
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