Tuesday, 18 October 2016

श्री बायण माताजी की आराधना

माँ से बढ़कर इस जगत में कोई नही है। माँ ही जगत की जननी है। माँ के बिना सारा जगत अधूरा है। धरती पर सबसे पहले माँ ही आई। माँ से ही पूरी सृष्टि का निर्माण हुआ व जगत का विस्तार हुआ। इसलिए माँ के बिना हम खुद की कल्पना भी नही कर सकते है। इनकी आराधना से ही हमारे काज सफल होंगे , इनकी आराधना , जप-तप से हम जीवन में उन्नत्ति कर पाएंगे । माँ बड़ी दयालु हैं इसकी महिमा वेदों में वर्णित हैं , जो इनकी शरण में आया हैं वो सब भय , रोगों से मुक्ति पाया हैं । जब-जब मनुष्यों , देवो पर घोर संकट आया हैं , तभी माँ जगदम्बा अपने भक्तों की सहायता हेतुं अवतार धरा हैं । हे माँ बायणेश्वरी हम आपके बालक हैं हमारी सहायता करों , हम तेरी शरण में आये हैं हमारे दुःख हरों । तुम ही
माता पार्वती , उमा , महेश्वरी, दुर्गा , कालिका, शिवा , महिसासुरमर्दिनी , सती , कात्यायनी, अम्बिका, भवानी, अम्बा , गौरी , कल्याणी, विंध्यवासिनी, चामुन्डी,
वाराही , भैरवी, काली, ज्वालामुखी, बगलामुखी, धूम्रेश्वरी, वैष्णोदेवी ,
जगधात्री, जगदम्बिके, श्री, जगन्मयी, परमेश्वरी, त्रिपुरसुन्दरी ,जगात्सारा, जगादान्द्कारिणी, जगाद्विघंदासिनी ,भावंता, साध्वी, दुख्दारिद्र्य्नाशिनी,
चतुर्वर्ग्प्रदा, विधात्री, पुर्णेँदुवदना, निलावाणी, पार्वती ,
सर्वमँगला,सर्वसम्पत्प्रदा,शिवपूज्या,शिवप्रिता, सर्वविध्यामयी,कोमलाँगी,विधात्री,नीलमेघवर्णा,विप्रचित्ता,मदोन्मत्ता,मातँगी
देवी खडगहस्ता, भयँकरी,पद्`मा, कालरात्रि, शिवरुपिणी, स्वधा, स्वाहा, शारदेन्दुसुमनप्रभा, शरद्`ज्योत्सना, मुक्त्केशी, नँदा, गायत्री , सावित्री,
लक्ष्मीअलँकार सँयुक्ता, व्याघ्रचर्मावृत्ता, मध्या, महापरा,
पवित्रा, परमा, महामाया, महोदया
इत्यादी हे माँ भगवती बायणेश्वरी आपके कई नाम हैँ।
हर प्राँत मेँ आपकी विविध स्वरुप की पूजा होती है और कई शहर आपके स्वरुप की आराधना के केन्द्र हैँ।
शाक्त पूजा की अधिष्ठात्री दुर्गा देवी पूरे बँगाल की आराध्या
काली कलकत्ते वाली " काली " भी आप हों और गुजरात की अँबा माँ भी आप हों ,
पँजाब की जालन्धरी देवी भी आप हो
तो विन्ध्य गुफा की विन्ध्यवासिनी भी आप
माता रानी हैँ जो जम्मू मेँ वैष्णोदेवी कहलातीँ हैँ
और त्रिकुट पर्बत पर माँ का डेरा है ॥
आसाम मेँ ताँत्रिक पूजन मेँ कामाख्या मँदिर बेजोड है ॥
तो दक्षिण मेँ आप कामाक्षी के मँदिर मेँ विराजमान हो
और चामुण्डी पर्वत पर भी आप हो , शैलपुत्री के रुप मेँ
वे पर्वताधिराज हिमालय की पुत्री पार्वती भी आप ही कहलातीँ हों ।
तो भारत के शिखर से पग नखतक आकर,
कन्याकुमारी की कन्या के रुप मेँ भी आप ही पूजी जातीँ हो॥
महाराष्ट्र की गणपति की मैया गौरी भी आप ही हों
और गुजरात के गरबे और रास के नृत्य ९ दिवस और रात्रि को
माताम्बिके का आह्वान करते हैँ ..
शिवाजी की वीर भवानी रण मेँ युध्ध विजय दीलवाने वाली भी आप ही हों। बीकाजी को बीकानेर बसाने में सहायता करने वाली भी आप ही हों , राव धुहड़ के साथ कन्नौज से आने वाली चक्रेश्वरी भी आप ही हों , जोधपुर की रक्षा करने वाली आप ही हो , हे माँ भगवती जगदम्बा स्वरूपा माँ बायणेश्वरी में आपका ध्यान धरता हूँ , आप मेरी सहायता करों मुझे रूप दो , जय दो , यश दो और मेरे काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करों ।
श्री बायण माता  ममतामयी हैं. वे अपने भक्तों पर सदा ही करुणा बरसाती हैं. जैसे माता अपने पुत्रों से हमेशा स्नेह रखती हैं, वैसे ही बाण मैया अपने शरण में आए हुए सदाचारी लोगों पर कृपा करती हैं.
वैसे तो बाण माताजी के बहुत-सारे चमत्कारों की महिमा प्रचलित हैं, पर एक स्तुति ऐसी है, जिसमें बेहद कम शब्दों में माँ बायण की महिमा का गुणगान किया गया है....

जय माँ बायण देवी नमो वरदे , जय पापविनाशिनि बहुफलदे |
जय बाणासुर दैत्य संहारिणी , प्रणमामि तू देवी नरार्तिहरे ||
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे , जय पावकभूषितवक्त्रवरे |
जय मधुकेटपमारण सहायकारिणी , जय लोकसमस्तकपापहरे ||
जय दुःखदरिद्रविनाशकरे , जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे |
जय देवी समस्तशरीरधरे , जय नाकविदर्शिनी दुःखहरे ||
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करें , जय वांछितदायिनी सिद्धिवरे |
जय श्री बायण माँ नमो वरदे , जय पापविनाशिनि बहुफलदे ||

संपूर्ण कार्यों की सिद्धि के लिए कुलदेवी की आराधना करना अति आवश्यक हैं , इसकी कृपा प्राप्त करना और इसकी भक्तिं में चित्त लगाने और जीवन के उद्धार के लिए इनकी शरण में जाना चाहिए । खूब तत्परतासे नित्य वस्तुमें मन डुबाइये । नहीं तो, सच मानिये, इतना पश्‍चाताप हो सकता है कि उसकी कोई सीमा नहीं है ।
बिल्कुल गाँठ बाँधकर रख लें । श्री बाण माता के नाम, रूप, गुण, लीला आदिके सिवा यदि मन कुछ भी चिन्तन करता है तो समझ लें कि घाटेका कोई हिसाब ही नहीं है ।
अभी पता नहीं लगता, अभी चेष्‍टा नहीं होती, पर इन्द्रियाँ मरनेके समय इतनी व्याकुल हो जाती हैं कि बिना अभ्यास श्री बायण माता में मन स्थिर होना बड़ा ही कठिन होता है । अतः श्री बाण माताजी की भक्तिं करें और मैया का गुणगान कर इनकी कृपा प्राप्त करें ।

जय श्री बाण माताजी
जय श्री सोनाणा खेतलाजी
जय श्री एकलिंग नाथ जी

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