Monday, 1 May 2017

श्री बाण माताजी दोहा ०३

दोहा :- 

सिरि सुर राय सुरिंदा, चतुरंगी चारु गुण चंदा |
बाणासुर संहारिणी, आई वर देऊ वर मुदा ||




अनुवाद :- हे देवी दुर्गा! हे पार्वती! हे तीक्ष्ण बुद्धि सम्पन्न स्वरूपवाली, चंद्रमा के समान उज्ज्वल गुणों वाली, बाणासुर को मारने वाली, हे बाण माता! प्रसन्न होकर मुझको वर दो।

🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩


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