Wednesday, 17 May 2017

श्री बाण माताजी दोहा-०६

दोहा :-

नमो देवी बाणेशरी सुरभि श्री चित्रकूट राय |
बाणमाता जगतां मातर्षर्मरक्षा परायणे ||



अनुवाद :-

हे देवी! हे बाणेश्वरी माँ! हे सुरभि! हे चित्तौड़गढ़ दुर्ग की स्वामिनी! हे जगत की माता! हे धर्मरक्षा करने वाली बाणमाता हम तुझे नमस्कार करते हैं।

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