Wednesday, 3 May 2017

श्री बाण माताजी दोहा ०४

दोहा :- 

कमलाकरि चढ़ती कला, बायण दो मुझ रिद्ध |

आपो वर मो ईश्वरी, सगती सिद्ध वसु वृद्ध ||


🌹 अनुवाद :-  हे लक्ष्मी! हे गौरी! हे बाणमाता! मुझको धन और ऐश्वर्य दो, हे ईश्वरी! मुझको शक्ति, सिद्धि, धन और उन्नति का वर प्रदान करो|





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