स्तुति दोहा
बायण बैठी गढ़ रे माय, धनुष-बाण धारिणी |
प्रतीत प्रित रीत जीत, विघ्नैन विदारिणी ||
मैं मन्द बूंदी मावड़ी, शगति तूँ सुधारिणी |
नमो नमामि मात, सदाजै ब्रह्मचारिणी ||
देवी बड़ी दातार, दोष ने निवारिणी |
बायण ब्रह्मांडा बसै, खासजै उदारिणी ||
बप्पा आई बेल, काज उणरा तूँ सारिणी |
नमो नमामि मात, सदाजै ब्रह्मचारिणी ||
सुर-असुर सेवी सदा, दैत्य कुळ खपाविणि |
कन्यारूप कुमारी, दक्षिण में विराजीणी ||
वर दीजै वरदान, विख्याता वरदायिनी |
नमो नमामि मात, सदाजै ब्रह्मचारिणी ||
यज्ञ कुण्ड प्रगट, बाणासुर दैत्य मारिणी |
घणी खम्मा कुलमात, चार भुजा धारिणी ||
सदा ने संता रामनि, हिंडोल तूँ हजारिणी |
नमो नमामि मात, सदाजै ब्रह्मचारिणी ||
🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩
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