श्री बाण माताजी की बावड़ी....
बावड़ी का निर्माण 7 वीं सदी में बप्पा रावल द्वारा कराया गया था, जब बप्पा रावल को बाणमाता ने स्वप्न में दर्शन देकर बाण फैकने हेतुं आदेश दिया था, वह बाण यही पर आकर गिरा था।
बाण गिरने से इस जगह पर छेद हो गया था एवम् जलधारा प्रवाहित हो चुकी थी, चित्तौड़ विजय के बाद बप्पा ने इस बावड़ी का निर्माण कराया एवम् बाणमाता की पूजा की इस बावड़ी के ठीक सामने भगवती बाण माता का मन्दिर बनाया गया, मान्यता हैं कि मन्दिर में भोग लगाने पर स्वत: ही इस बावड़ी में भोग लगता था। अब यह बावड़ी घरों के बनने पर मन्दिर से स्पष्ट नही दिखती हैं, बावड़ी में भगवान् शिव जी और हनुमान जी का मन्दिर बना हुआ हैं। शिवजी के लिंग के पास ही नन्दी विराजमान् हैं एवम् एक नन्दी मन्दिर के बाहर विराजमान हैं जो खण्डित हैं।
एक किवदन्ती यह भी हैं कि बाणमाता के निज मन्दिर के निचे से एक जलधारा प्रवाहित होती हैं जो सीधा बावड़ी में जाती हैं।
इस बावड़ी का पानी यहां के आस-पास के मन्दिर में सप्लाई होता है।बावड़ी की हालत दिनबदिन बिगड़ती जा रही थी लेकिन चित्तौड़गढ़ बाण माता मन्दिर पुजारी जी के कहने पर अब इसकी सफाई का काम चल रहा हैं एवम् जल्द ही इस बावड़ी का शुद्ध जल मन्दिर के आस-पास के सभी घरों में सप्लाई किया जाएगा।
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