Friday, 5 May 2017

श्री बाण माताजी दोहा ०५

दोहा :- 

सु प्रसन्न मात बाणेशरी, अविरल आपो उगत्ति |

मया करो महामाय, सानिध करों सगत्ति ||




अनुवाद :- हे माँ बाणेश्वरी! प्रसन्न होकर मुझको भाव व्यक्त करने अथवा चमत्कार पूर्ण अभिव्यक्ति की अटूट शक्ति प्रदान करो, हे महामाय! हे दुर्गा! मुझ पर कृपा करो, मेरी सहायता के लिए सदैव मेरा साथ दो।

🚩  || चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय || 🚩



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