Sunday, 30 April 2017

श्री बाण माताजी दोहा ०२

दोहा :- 

इच्छित पूरण अंबिका, देवी तूँ दातार |
त्राता दाता मात तुहिं, बायण तूँ किरतार ||



अनुवाद :- हे कामनाओं की पूर्ती करने वाली माँ अंबिका! हे देवी! आप उदार हृदय से वरदान देने वाली माँ हो! आप ही रक्षक और दाता हो, हे माँ बाणेश्वरी! आप संसार की रचियता एवम् विघातृ शक्ति हो। 

🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩


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