Saturday, 1 April 2017

श्री बाण माताजी की घोड़े की असवारी वाला मंदिर प्रतापगढ़

श्री बाण माताजी मंदिर प्रतापगढ़

आपने शेर पर सवार मां दुर्गा के दर्शन तो किए ही हैं। लेकिन आज हम मां के ऐसे स्वरूप के दर्शन कराते हैं। जिसमें मां एक अश्व पर सवार हैं। मां के इस रूप को देखकर लगता है। जैसे वह किसी युद्ध के मैदान में शत्रुओं का नाश करने जा रही हो घोड़े पर सवार यह मां अपने भक्तों के सारे कष्ट दूर करती हैं। मां की ऐसी अद्वितीय मूर्ति प्रतापगढ के प्राचीन किला परिसर में बाणमाता मंदिर में स्थापित है यहां मां एक घोडे पर सवार है। माता के एक हाथ में तलवार है। दूसरे में ढाल है। एक में धनुष है। एक में बाण है। एक में राक्षस की मुंड है और एक हाथ से घोड़े की बाग को संभाले है। इसलिए बाणमाता या बाणेश्वरी देवी नाम से प्रसिद्ध है।
बाणमाता चित्तौडगढ के इतिहास को गौरवान्वित करने वाले महाप्रतापी महाराणा प्रताप, सांगा, कुम्भा की कुलदेवी है। सांगा के समय उनके परिवार के कुछ लोग प्रतापगढ आ गए। प्रतापगढ की राजधानी देवगढ में आकर अपनी रियासत कायम की उसी रियासत से बाघ सिंह भी हुए हैं। उन्होंने पाटन पोल पर अपनी कुर्बानी देकर चित्तौड को बचाने का प्रयत्न किया था। कहा जाता है कि सिसोदिया वंश पर जब विपदा आईए तो मां घोडे पर सवार होकर प्रकट हुई और उनकी मदद की। तब से मां के इस स्वरूप को यहां स्थापित किया गया है।
तब से यहां बाणमाता की पूजा होती आ रही है। मुगल काल में राजस्थान की लगभग सभी रियासतों ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली थी लेकिन चितौडग़ढ़ ही ऐसी रियासत थी जिसने मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की पुरे देश को गौरवान्वित करने वाले इन्हीं महान महाप्रतापी राजाओं की कुलदेवी बाणेश्वरी शक्ति की प्रतीक हैं। जब भी महाराणा प्रताप, सांगा, कुम्भा जैसे प्रतापी शासक मुगलों से युद्ध के लिए जाते थे तो पहले अपनी इस कुलदेवी की पूजा अर्चना करते थे। बाणेश्वरी की उपासना के बाद ही रण भूमि पर जाते थे इस विश्वास के साथ कि मां भगवती युद्ध में उनके साथ रहेगी और विजय प्रदान करेगी बाणमाता या बाणेश्वरी मंदिर की यह मान्यता है कि जो भी जिस भाव के साथ मां की शरण में आता है उसकी इच्छा पूरी होती है। नवरात्रि के अवसर पर रोजाना महामाया बाणमाता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। महाआरती की जाती है जिसमे रोजाना भारी तादात में श्रद्धालु मां के दर्शन करने पहुच रहे है।

धिन धरती मेवाड़ री, धिन-धिन प्रतापगढ़ देश | बायण आप पधारिया, जबर घोड़ा पर बेस ||

🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩

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