शगति तूँ चित्तौड़ री, धणियाणी माँ धाय |
तूँ बायण तूँ ब्राह्मणी, तूँ मोटी मम माय ||
मोटी तूँ मम माय, बाणासुर मारियो |
कीनों देवी कोप, पकड़ असुर पछाड़ियो ||
पूजावें नित पांव, जीका तूँ पार्वती |
वर हांजी शगत पिलाणे, हंस चढ़ी तूँ सरस्वती ||
चित्तौड़ चारभुजाळी रो, तारण माता ईशरी |
नेचे करवा बायण, वायर मायड़ निसरी ||
लूट लियो गढ़ चित्तौड़, युद्ध में देवी तूँ लड़ी |
असुर खपावण आप, बाणेश्वरी तूँ अवतरी ||
🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩
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