Sunday, 5 March 2017

श्री बायण श्री बायण भज रे, थारा पाप जावेला कट रे

“श्री बायण श्री बायण भज रे".............
“ थारा पाप जावेला कट रे".............

श्री बायण दुःख में सुख का एहसास है,
श्री बायण हरपल मेरे आस पास है ।
श्री बायण मन की आत्मा है,
श्री बायण साक्षात् परमात्मा है ।
श्री बायण भक्ति और ज्ञान है,
श्री बायण गीता और पुराण है ।
श्री बायण ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
श्री बायण श्री दुर्गा का ही एक रूप है ।
श्री बायण तपती धूप में साया है,
श्री बायण आदि शक्ति महामाया है ।
श्री बायण जीवन में प्रकाश है,
श्री बायण निराशा में आस है ।
श्री बायण महीनों में नवमी है,
श्री बायण गंगा सी पावन है ।
श्री शाकंभरी फलों में अमृत है ।
श्री बायण देवियों में रूद्राणी है,
श्री बायण मनुज देह में सावित्री है ।
श्री बायण ईश् वंदना का गायन है,
श्री बायण चलती फिरती रामायन है ।
श्री बायण रत्नों की माला है,
श्री बायण अँधेरे में उजाला है,
श्री बायण बंदन और रोली है,
श्री बायण रक्षासूत्र की मौली है ।
श्री बायण ममता का प्याला है,
श्री बायण शीत में दुशाला है ।
श्री बायण गुड सी मीठी बोली है,
श्री बायण दशहरा दिवाली, होली है ।
श्री बायण इस भक्ति मार्गमें हमें लाई है,
श्री बायण की याद हमें अति की आई है ।
श्री बायण सरस्वती लक्ष्मी और दुर्गा माई है,
श्री बायण ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।
प्रति दिन में बस ये इक पुण्य का काम करो।
श्री बाण मैया जी का गुणगाण  करो ।। 🙏🏻🙏🏻

🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩

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