श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-09
हे माँ बाणेश्वरी! आप ही जगत को व्यापने वाली माया हो आप ही प्रलय काल में समुद्र में शयन करने वाली हो | तत्वदृष्टा महर्षियों ने आपको ही परात्परों से भी पर सर्वातीत बताया हैं | आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे माँ ब्रह्माणी! आप ही विद्या हैं, आप ही सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और उसका अंत करने वाली हैं | आप ही कूटस्थ प्रकट अप्रकट रूपा हैं | सबकी आधारस्वरूप, सुंदरता को सुंदर बनाने वाली तथा अत्यंत तेजोमयी आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे बाण माता! आप ही कालिका, सरस्वती, तारा, लक्ष्मी, त्रिपुरा सुंदरी, भैरवी, मातंगी, धूमावती हो | वस्तुतः आप एक ही विभिन्न अवसरों पर विविध रूप धारण करती हैं | आपकी महिमा अपरंपार हैं | आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे बायणेश्वरी! आप ही छिन्नमस्ता, क्षीरसागर से उत्पन्न होने वाली लक्ष्मी, शाकम्भरी और रक्तदंतिका हो | आप ही शुम्भ-निशुम्भ, रक्तबीज, वृत्रासुर, बाणासुर तथा धूम्रलोचन आदि राक्षसों का विनाश करके देवों का परित्राण करने वाली महिमामयी देवी हैं | आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे हंसवाहिनी! आप ही पृथ्वी, दया, तेज, प्राण, रूप, धर्म देव, ज्योति, ज्ञान तथा भूत आदि हैं | इन सबकी सत्ता आप से ही हैं | सृष्टि में सर्वत्र आप ही व्याप्त हैं, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे बाणासनवती देवी! आप ही वर देने वाली गायत्री देवी हैं, आप ही सावित्री, सरस्वती, स्वाहा, स्वधा, दक्षिणा हैं | हे अनन्त कोटि ब्रह्मांड की नायिके, हे मणिद्वीप निवासिनी कन्या कुमारी! आपसे मेरी करबद्ध विनती हैं कि आप मुझ पर दया करें | आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे हंसारूढा़! आप परात्पर देवी, भुवनेश्वरी, सभी उत्तमों में सर्वोत्तम जगत माता हैं | आपको मेरा पीछे से, ऊपर से, नीचे से सर्वत्र और सर्वदा कोटि-कोटि प्रणाम |
हे बायण माता! आप जगदीश्वरी हैं सहस्त्रों देवता आपके अंशभूत हैं | आपकी शक्ति अकल्पनीय हैं, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम |
🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩
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