Wednesday, 8 March 2017

श्री बाण माताजी श्लोक-21

हंसयुक्‍तविमानस्थे ब्रह्माणीरूपधारिणि |
कौशाम्भ:क्षरिके देवि माँ बाणेश्वरी नमोऽस्तु त||

🚩 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🚩

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