Sunday, 30 April 2017

श्री बाण माताजी दोहा ०१

दोहा :-

बायण माता बालिका, बांह धरे बोलाय |
आई अंगज आपरो, धरि गोदे धवराय ||


अनुवाद :- हे बालिका रूप बायण माता! आप मेरी रक्षक हैं, मुझको बुलाकर अपने अंक में लेलो। हे माँ! मैं आपका ही पुत्र हूँ, मुझको गोद में लेकर पय:पान ( स्तनपान ) से तृप्त करें।

🚩 *चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय* 🚩


No comments:

Post a Comment

Featured post

कुलदेवता श्री सोनाणा खेतलाजी का संक्षिप्त इतिहास

सोनाणा खेतलाजी का सक्षिप्त इतिहास- भक्तों चैत्र की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि हैं वैसे तो पुरे भारत वर्ष में आज से नवरात्रि शुरू होंगे लेकिन ...