Sunday, 25 December 2016

श्री बाण माताजी के श्रीचरणों में रह कर भक्ति करने हेतुं एक छोटी सी माजी से अरदास

🙏� श्री बाण माताजी के श्रीचरणों में रह कर भक्ति करने हेतुं एक छोटी सी माजी से अरदास

चित्तौड़गढ़ की धनियाणी श्री बाण माताजी की ऐसी महिमा हैं कि यदि इस मानव शरीर में चित्तौड़ स्वामिनी श्री बाण माताजी के चरणारविन्दों की धूलि लिपटी हो तो इसमें अगरू, चंदन या अन्य कोई सुगन्ध लगाने की जरूरत नही, श्री बायण माताजी के भक्तों की कीर्तिरूपी सुगंध तो स्वयं ही सर्वत्र फ़ैल जाती हैं।

हे बाणासनवती! श्री बाणेश्वरी माता! हे हंसवाहिनी! श्री ब्रह्माणी माता! मेरे जीवन की आधार, मैं आपके श्रीचरणों की वंदना करता हूँ, मेरे मन की प्रीति सदैव आपके ही श्रीचरणों में लगी रहे, मेरी हर साँस में माँ बायण बस आपका ही सुमिरन हो, मेरे जीवन के अंतिम क्षणों में बस आपका ही ध्यान रहे, ऐसी कृपा करो मेरी बाण मैया। आपके श्रीचरणों में अखिल ब्रह्मांड समाया हैं, आपके श्रीचरण आपके भक्त सदैव अपने हृदय ने धारण करते हैं  । मेरी एक विनती सुनों मैया आपने इन्ही श्रीचरणों से चित्तौड़गढ़ की धरती धन्य हुयी, हे अम्ब! ऐसी कोई कृपा करो हम पर कि आपके श्रीचरणों में ही हमारा ध्यान लगा रहे , हम आपके भक्त आपसे करबद्ध प्रार्थना करते हैं कि आपके श्रीचरण ही हमारे त्रिविध तापों, पापों को दूर करें ।

लग्न ऐसी मोहि लागि रहे , करूँ थारे चरणों री सेवा |
तूँ जगदम्बा जुगत री , धुप दीप अगरबत्ती खेवा ||
विणती वरणा थारी चरण , सुणजे ए धनियाणी |
मन मायड़ में लागो रहे, और कुछ नही माँगा माड़ी ||

🙏�  चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🙏

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