श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-05
हे कूटस्थ चैतन्यस्वरूपा, वेदशास्त्रादि द्वारा ज्ञेया बाणेश्वरी जगदम्बे! आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बायण! यह सारा त्रिलोक आपके द्वारा ही विरचित हैं। आपकी आज्ञा से ही ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव आपके द्वारा निर्धारित कार्य में प्रवृत्त होते हैं। वे स्वत्रन्त्र न होकर आपके ही वशवर्ती हैं। आपकी आज्ञा के बिना कोई भ्रूभंग तक भी नही कर सकता। संपूर्ण लोक आपके अधीन और आज्ञाकारी हैं, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे बाण माता! इस संसाररुपी सागर को पार करने के लिए आपके चरण रुपी पोत का आश्रय लेने वाले लोग सचमुच ही धन्य हैं। योगी, वीतराग माहात्मा, निर्विकार भक्त और मोक्षार्थी ज्ञानी सभी उच्च कोटि से तत्वदृष्टा आपका ही भजन करते हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ ब्रह्माणी! इस चराचर विश्व में आप ही मेधा, कांति, शान्ति तथा तत्वार्थबोधिनी विद्या हैं। आप ही अपनी कृपा से अपनी विभूतियों में दिव्यता का प्रवेश कर उन्हें अनुपम एवं विलक्षण रूप प्रदान करती हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे जगदम्बे! तीनों वेदों के निष्णात भजनशील पंडित यज्ञ के साथ वेदमन्त्रों से आहुतियाँ देते हुए आपका ही स्मरण करते हैं। आप ही स्वाहा और स्वधा के रूप में दी गई आहुतियों से क्रमशः देवों तथा पितरों का पोषण करती हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ बायणेश्वरी! अल्पबुद्धि हम आपका किस प्रकार पूजन करें और आपको क्या अर्पण करें। फल-पुष्पादि सकल पदार्थों की स्रष्टा तो आप ही हैं। आपकी वस्तु आपको समर्पित करने में हमारा योगदान हुआ? हे देवी! हम आपके श्री चरणों में नतमस्तक होने के रूप में ही अपनी भावना प्रकट करते हैं और बारम्बार यही कहते हैं कि आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ वरदायिनी! आपने ही यह लोकमर्यादा स्थिर की कि माँ अपने बच्चों द्वारा घोर अपराधों के किए जाने पर भी उन्हें क्षमा कर देती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। हमारे विचार में हम तो सर्वथा निरपराध हैं, फिर आप हमारी रक्षा क्यों नही करती?😢 हे बायण माँ! हम आपके शरणागत हैं, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे चित्तौड़गढ़राय! हे बाण माता! हे अनन्त कोटि-कोटि ब्रह्मांड की संचालिके भगवती! आप प्रसन्न होइये। मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
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🙏 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🙏
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