Thursday, 1 December 2016

श्री बायण माताजी स्तुति पार्ट-04

श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-04

सुख, कल्याण, आनन्द, शांति और पुष्टि प्रदान करने वाली चित्तौड़गढ़ स्वामिनी श्री बाण माताजी को मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बायण ! आपकी ही शक्ति से ब्रह्मा जगत की सृष्टि करता हैं । विष्णु उसका रक्षण-पोषण और शंकर विनाश करता हैं । हे बायणेश्वरी ! शक्तिस्वरूपा आपके बिना वे तीनों तथा अन्य सभी देवता कुछ भी करने में असमर्थ हैं । आपकी ही शक्ति से वे अपना ईशत्व स्थापित करते हैं । इस रूप में आप ही सृष्टि की कर्त्ता-धर्त्ता-हर्त्ता हैं । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ चित्तौड़वाली ! आपकी ही शक्ति से कूर्म तथा शेषनाग पृथ्वी को धारण किए हुए हैं । आपकी कृपा न हो तो धरती, धरती न रहे और न ही गगन, गगन । हे जननी ! इस सारे भार को सचमुच में आप ही संभाले हुए हो, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ ब्राह्मणी ! आप ही चराचर प्राणियों को भोग प्रदान करने वाली हैं, आपके अंशों से ही प्राणियों का जीवन हैं । हे माँ ! आपकी उदारता वर्णनातीत हैं । जिस उदारता से आप अपने भक्तों का पालन करती हैं । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे सिसोदिया गहलोत वंश कुलस्वामिनी ! सुख देने वाली विद्या और क्लेश देने वाली अविद्या दोनों आपका ही स्वरुप हैं । आप ही लोगों के क्लेश का हरण करने वाली तथा मोक्ष प्रदान करने वाली हैं । वे लोग सचमुच ही अज्ञ हैं, जो आपका भजन पूजन नही करते हैं । हे माँ बायण ! आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे ब्रह्माणी देवी ! सर्वज्ञ ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, इंद्र तथा अग्नि आदि देवता भी केवल विनम्रता से ही आपकी महिमा जान सकते हैं । ज्ञान के दम्भ से आप अज्ञेय हैं। आपके दिव्य गुणों से देव, दनुज और मनुज सभी विमोहित हैं । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम
हे माँ बाण माता ! योगी लोग मुक्तिप्रदात्री के रूप में और विशुद्धचित्त मुनि उत्तम ज्ञान के रूप में आपका ध्यान करते हैं । सत्य यह हैं आप के चरणों के ध्यान में मग्न रहने वाले आवागमन के बंधन से सर्वथा मुक्त हो जाते हैं । उन्हें पुनः माँ के गर्भ की यातनाएँ सहन नही करनी पड़ती । हे मोक्ष प्रदान करने वाली ! आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
कालरात्रि स्वरूपा, इंद्राणी, सिद्धि, बुद्धि तथा वृद्धि स्वरूपिणी, महामाया दुर्गा देवी को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।

जय माँ बायण

🙏 चित्तौड़गढ़ राय, सदा सेवक सहाय 🙏
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