श्री ब्राह्मणी ( बाण माताजी ) माताजी धाम सारंगवास ( नवी धाम )
' नवी धाम ' इस जगह को कौन नही जानता जन-जन की आस्था का केंद्र सारंगवास में विराजमान श्री सोनाणा खेतलाजी का भव्य मंदिर बना हुआ हैं, काशी के कोतवाल भेरू नाथ काशी से मंडोर आए, मंडोर से तीखी पहाड़ी वहां से सोनाणा और सोनाणा से आकर सारंगवास में विराजमान हुए, श्री सोनाणा खेतलाजी ब्राह्मणी माताजी के लाडले पुत्र कहलाते हैं...
' शंकर रा अवतार भेरूजी, मात ब्राह्मणी रा जाया जी '
श्री सोनाणा खेतलाजी के दरबार में ही ब्राह्मणी माता हंसारूढ होकर बैठी हैं, श्री ब्राह्मणी माताजी की यह प्रतिमा अत्यंत ही प्राचीन हैं देवी ने चार भुजा धारण कर हाथ में कमण्डल, कमल पुष्प, माला और वेद ( पुस्तक ) लिए हुए हैं। लोकमान्यता एवं जनश्रुति के अनुसार श्री ब्राह्मणी माताजी पूर्व में ' श्री सोनाणा खेतलाजी ' ( नवीधाम ) जहां विराजमान हैं , वहां गुफा के अंदर बाण माताजी का आसान था एवं श्री सोनाणा खेतलाजी जूनी धाम सोनाणा में विराजमान थे । वहां गुफा के आगे एक नदी बहती थी और आज भी बहती हैं। एक दिन श्री सोनाणा खेतलाजी अपनी माता श्री ब्राह्मणी माँ से मिलने सोनाणा से सारंगवास आए और माँ से बोले
सोनाणा खेतलाजी : माँ आज हम माँ-बेटे इस नदी में स्नान करते हैं और देखते हैं कौन सबसे ज्यादा समय पानी में डुबकी लगाए रहता हैं। '
ब्राह्मणी माता को शक हुआ और उन्होंने खेतलाजी से कहाँ
ब्राह्मणी माता : खेतल तूँ बहुत बड़ा छलिया हैं मेरे साथ कोई छल तो नही कर रहा हैं?
सोनाणा खेतलाजी : नही-नही माँ मैं आपके साथ कैसे छल कर सकता हूँ मैं तो आपका बेटा हूँ।
यह कह कर माँ ने नदी में डुबकी लगा दी, लेकिन खेतलाजी वहां से दौड़कर गुफा में जाकर बैठ गए, जहां ब्राह्मणी माताजी का स्थान था। ज्यादा समय के बाद जब ब्राह्मणी माताजी पानी से बाहर आये तो उन्होंने अपने बेटे खेतलाजी को वहां नही पाया और चिंता करने लगी ' कि कही मेरा बेटा पानी में डूब कर मर तो नही गया ' और इधर-उधर आवाज देने लगे खेतल-खेतल!
तभी खेतलाजी ने गुफा से माँ बाण माता को आवाज दी और बताया कि माँ मैं यहां हूँ आप चिंता मत करो! माँ ने यह देख खेतलाजी से कहाँ ' कि बेटा मैंने कहाँ था तूँ मेरे साथ छल करेगा?
यह कहते ही खेतलाजी माँ के चरण पकड़ क्षमा मांगने लगे और माँ से विनती करने लगे....
हे माँ मैं आपका बेटा हूँ आप मेरी माँ हो आज से मैं यहां ऊपर गुफा में बैठूंगा और आपका निवास स्थान मुख्य द्वार के पास वहां नीचे होगा, जो भी भक्त मेरे दर्शन हेतुं आएंगे उनको पहले आपके दर्शन होंगे, जो मेरे दरबार में आकर मेरे दर्शन कर आपके दर्शन नही करेगा, उसे उस फल की प्राप्ति नही होगी जो आपके दर्शन से होती हैं....
जात-जडूलिया जो मेरे जहाँ देने आयेगा उसे आपके वहां भी देना होगा नही तो अमान्य होगा।
माँ-बेटे का रिश्ता जगत में सबसे निराला हैं, माँ की ममता का कोई पार नही हैं, बेटा चाहे कितनी भी बड़ी गलती करले माँ तो उसे क्षमा कर ही देती हैं और ब्राह्मणी माता ने उन्हें क्षमा कर दिया ।
आज राजस्थान से ही नही अपितु सम्पूर्ण भारत से खेतलाजी और ब्राह्मणी माताजी के दर्शनार्थ हेतुं लाखों भक्त आते हैं चैत्र सुदी प्रथमा एवं द्वितिया को लगने वाला मेला भक्तों की माँ और खेतलाजी के प्रति अपार श्रद्धा को दर्शाता हैं मेले में लाखों भक्त मातेश्वरी और खेतल बाबा के दर्शन हेतुं यहाँ आकार अपनी इच्छा अनुसार वर प्राप्त करते हैं।
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🙏 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🙏
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