श्री बाण माताजी स्तुति पार्ट-06
हे बाण माता! विश्व के समस्त पदार्थों में उनके तेज के रूप में आप ही अवस्थित हैं, आपका स्वरूप सूक्ष्मातिसूक्ष्म हैं, परन्तु आपके उस सूक्ष्म शरीर में ही विश्व के सभी लिंग शरीर ओत-प्रोत हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ बाणेश्वरी! आप ही महामाया, जगदम्बा, भगवती दुर्गा हैं, आपको बारम्बार प्रणाम। आप ही प्रकृति और कल्याण करने वाली माता हो। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ ब्रह्माणी! आप अग्नि के समान तेजस्विनी, तप से देदीप्यमान सभी लोगों को कर्मफल प्रदान करने वाली हो। मैं आपकी शरण में आया हूँ, आप मेरी रक्षा करें। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे वरदायिनी! सभी देवों के तेज के समुच्चय के रूप में आपका अभिर्भाव हुआ हैं। आप ही दुर्गा, लक्ष्मी तथा सरस्वती हो। जिस प्रकार सेवक गोपाल को गाय अपने दुग्ध से तृप्त करती हैं, उसी प्रकार आप भी मुझे विद्या प्रदान कर तत्वनिर्णय में समर्थ बनाने की कृपा करें। मेरा आपको कोटि-कोटि प्रणाम।
हे ब्रह्माणी! आप ही कालरात्रि अर्थात प्रलय करने वाली हैं। ब्रह्माजी आपकी ही स्तुति करते हैं। आप ही वैष्णो देवी हो। आप ही सरस्वती, अदिति, दक्षपुत्री आदि हो। वस्तुतः सभी देवियाँ आपका ही स्वरुप हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे बाण माता! आप ही महालक्ष्मी, सर्वशक्ति स्वरूपा देवी हैं, मैं आपका ध्यान धारण करता हूँ और आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप मेरी बुद्धि को प्रेरित करें। जिस अज्ञान के कारण सर्प को पुष्पमाला समझने के समान मेरी संसार में सत्यबुद्धि हैं, आप की कृपा से उस अज्ञान का नाश हो जाए और सत्यज्ञान की प्राप्ति हो जाए। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे बायण माता! आप ही वेद-वेदांत ज्ञेय, प्रणव ( ओंकार ) स्वरूपा तथा ह्रीं मूर्ती हैं। ऋद्धि-सिद्धि तथा भुक्ति-मुक्ति के अभिलाषी आपके ही शरण होते हैं। आप ही कूटस्थ साथी रूपा हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे बाण माता! आप देवाधिदेव, जगत के कारण-ब्रह्मा, विष्णु आदि की भी कारण अर्थात उत्पादिका हैं। आप चित्तौड़गढ़ दुर्ग में निवास करती हो। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
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🙏 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🙏
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