महामाया चित्तौड़गढ़ राय श्री बाण माताजी की स्तुति पार्ट-07
हे बाण माता! आप सभी मंगलों को मंगलमय बनाने वाली, कल्याणस्वरूपा और सभी मनोरथों को पूरा करने वाली हो। आप ही शिवा, लक्ष्मी तथा ब्रह्माणी हैं। शरणागतवत्सल, आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे माँ बायण माता! आप इस संसार की आश्रय, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमती, भक्तों को विजय दिलाने वाली तथा मंगल करने वाली हो। आपसे मेरा निवेदन हैं कि आप मुझे सब प्रकार से मंगल प्रदान करें। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।
हे ब्रह्माणी देवी! आप सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली, पुण्यों का बीज, आद्या तथा समृद्धि लाने वाली हो । आपसे प्रार्थना हैं कि आप मुझे सभी इष्ट पदार्थ प्रदान करने की कृपा करें । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बाणेश्वरी! आपसे ही समुद्रों, पर्वतों, नदियों और सभी रसों व ओषधियों की उत्पत्ति हुयी हैं तथा आपसे ही यज्ञ, दीक्षा, धुप और दक्षिणा के वेदत्रयी ऋक, साम तथा यजु: का आविर्भाव हुआ । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे कन्याकुमारी! आपसे ही प्राण, अपान आदि पाँचों वायु अन्नादि धान्य, तप, श्रद्धा, सत्य, ब्रह्चर्य, सातों प्राण, सातों समिधायें, सातों होम तथा सातों लोक उत्पन्न हुए हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे हंसवाहिनी! आपसे ही अग्नि, सूर्य तथा चंद्रमा आदि उत्पन्न हुए । आप ही 'ह्रीं ' स्वरूपा हैं। आपको सामने से, पीछे से, दोनों पाश्र्वों से, ऊपर से, नीचे से चारों दिशाओं में कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे बाण माता! आप ही काल एवं संख्यास्वरूपा हैं आपकी शक्ति के बिना कोई भी व्यक्ति कोई भी संख्या गिनने में समर्थ नही हो सकता । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
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🙏 चित्तौड़गढ़ री राय, सदा सेवक सहाय 🙏
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