श्री बाण माताजी को नही चढ़ाई जाती बलि
महा-मायादेवी माँ दुर्गा की असंख्य योगिनियाँ हैं और सबकी भिन्न भिन्न निशानिय और स्वरुप होते हैं। जिनमे बायणमाता पूर्ण सात्विक और पवित्र देवी हैं जो तामसिक और कामसिक सभी तत्वों से दूर हैं। माँ पार्वती जी का ही अवतार होने के बावजूद बायण माता अविवाहित देवी हैं। तथापरा-शक्ति देवी माँ दुर्गा का अंश एक योगिनी अवतारी देवी होने के बावजूत भी बायण माता तामसिक तत्वों से भी दूर हैं अर्थात इनके काली-चामुंडा माता की तरह बलिदान भी नहीं चढ़ता है गलती से भी यह भूल न करें , क्योंकि बायण माता ब्रह्चारिणी अर्थात ब्रह्माणी का स्वरूप हैं । जो लोग घर पर श्री बाण माताजी की पूजा अर्चना करते हैं वे अपने घर में मांस-मदिरा का सेवन भी न करें । इसका उदाहरण आप मारवाड़ में देख सकते हैं यहां के कुछ सिसोदिया गहलोत राजपूत अपनी कुलदेवी श्री बाण माताजी को न मानकर श्री चामुंडा माताजी को मानते हैं , उनसे पूछने पर बताया कि पूर्व में श्री बाण माताजी की आराधना करना शुरू किया लेकिन हमने मांस-मदिरा का सेवन जारी रखा , जिससे माँ हमसे रुष्ट हो गयी और हमारे परिवार में तकलीफे आने लगी जिससे हमने इनकी जगह चामुंडा माता को अपनी कुलदेवी मान कर आराधना की ।
आज वे लोग जागृत होने के बावजूद भी मांस-मदिरा के लिए अपनी जननी का त्याग कर रहें हैं , मावड़ी से निवेदन हैं कि सद्बुद्धि प्रदान करें और अपनी शरण में बुलाए ।
' मांस-मदिरा त्यागों भाई , करों बायण री भक्तिं |
गलती बगसावे मावड़ी , इण सु बड़ी नही शक्ति ||
कुछ लोगो का यह भी कहना हैं कि मेवाड़ एवम् राजपूतों के बड़े बड़े रावलों में बलि चढ़ती हैं तो उनकी जानकारी के लिए बता दे कि बलि श्री बायण माताजी को न चढ़ भेरूजी को बलि चढ़ाई जाती हैं ।
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