चिंता हरण , मंगल करण , विघन विडारण विख्यात ।
माँ ब्राह्मणी कष्ट निवारिणी , जय हो बायण मात ।।
ॐ नमो श्री जगदम्बा रूपम , शक्ति तू ज्योतिसरूपम ।
चित्तौड़ गढ़ वाली ऐ धनियाणी , मैहर करों माता ब्रह्माणी ।।
द्वापरयुग में माँ अवतार लियों , बाणासुर ने आप मारियों ।
दैत्यों ने हणती दयाळी , मैहर करों माता ब्रह्माणी ।।
आगे भेरू घुँघरिया घमकावे , हेलों सुण बायण दोड्या आवे ।
तीनों लोको में माँ बाजै ताळी , मैहर करो माता ब्रह्माणी ।।
अन्न धन रा भण्डार भराणी , वेदों में माँ तूँ वखाणी ।
देवी तूँ तो खूब दयाळी , मैहर करो माता ब्रह्माणी ।।
रुपाळ में माँ तूँ वरदायिनी , सहाय करें माता सुखदायिनी ।
हंस चढ़ आवो माँ भवानी , मैहर करों माता ब्रह्माणि ।।
पल पल में माँ वास थारों , नहीं कोई माँ तुज ती न्यारो ।
चवद ब्रह्माण्ड में शक्तिशाली , मैहर करों माता ब्रह्माणी ।।
विद्या रुपे विश्व विधाता , बाण आप ही बायण माता ।
भक्तों देवी नजरे भाळी , मैहर करो माता ब्रह्माणी ।।
मायड़ जग में नही कोई मारों , अब मावड़ी आप साम्भळो ।
पार करों माँ चार भुजाळी , मैहर करों माता ब्रह्माणी ।।
तूँ मायड़ म्हारी आराधा , यह कहे माता अनुराधा ।
महेंद्र सिंह गुणगावे माड़ी , मैहर करो माता ब्रह्माणी ।।
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