Thursday, 8 September 2016

श्री बाण माताजी मन्दिर देचू

श्री बाण माताजी मन्दिर देचू

मित्रों श्री बाण माताजी भक्त मण्डल जोधपुर ( राज.) द्वारा हमेशा आपको श्री बाण माताजी के बारें में नई नई जानकारियां दी हैं , आज हम आज से लगभग 250-300 साल पूर्व देचू गाँव में निर्मित श्री बाण माताजी के मन्दिर के दर्शन कराते हैं ।
300 साल पूर्व देचू गाँव आसवतों की जागीर हुआ करता था , आसावत श्री बाण माताजी के अनन्य भक्त थे , दिन-रात माताजी की पूजा अर्चना आराधना किया करते थे ।
आसवतों की इस जागीर को चाहड़देव जी राठौड़ ने धोखे से छिन ली और यहाँ के ठाकुर बन गए ।
अपने कुल के भक्तों के साथ धोखा होने और पूजा पाट छोड़ने पर श्री बाण माताजी रुष्ठ हो गए और रात को चाहड़देव जी ने स्वप्न में देवी के दर्शन किये और मूर्ती खंडित होते हुए देखा , भयभीत चाहड़देव जी ने सुबह फिर से आसावतों को वो जागीर देने का आश्वासन देने और मन्दिर पूजा का भार सौपने भेजा , लेकिन आसावत राजपूतों ने यह कह कर मना कर दिया कि आप हमारे बेटी जंवाई हो हम यह जागीर वापस नही ले सकते लेकिन श्री बाण माताजी मन्दिर की पूजा की जिम्मेदारी हम लेते हैं और कुछ परिवार वही रुक गए और कुछ जोधपुर , जैसलमेर जाकर बस गए ।
जो देचू में ही रुके वे निरंतर पूजा करते रहे और आज वहाँ श्री बाण माताजी के मन्दिर के आगे विशाल भूमि पड़ी हैं ।
मन्दिर प्रांगण में विराजमान मूर्ती आज भी खंडित हैं जो चाहड़देव जी राठौड़ को स्वप्न में दिखी थी , मन्दिर एक छोटे से चबूतरे पर बना हुआ हैं जिसके चारों और बिजलीघर वालों ने माताजी के चमत्कार को देख यहाँ मन्दिर के चारों और परकोटा बनाया , हुआ यूँ कि मन्दिर के आगे पड़ी पूरी जमीन श्री बाण माताजी की हैं बिजलीघर बनाने वाले ठेकेदार ने काम शुरू कर दिया लेकिन काम आगे न बढ़ पाया और रात को माताजी ने उसे कुछ चेतना दी , सुबह कुछ बुजर्ग लोगो को पूछा जिससे उसे ज्ञात हुआ कि यहाँ देवी थान हैं , ठेकेदार ने दर्शन कर मन्नत  मांगी , मन्नत पूरी होने पर वह माताजी से प्रभावित हुआ और  उसने मन्दिर के चारो और परकोटा बनाया ।
मन्दिर में विराजमान श्री बाण माताजी ने भैंसे की असवारी कर बीस भुजा धारण किये हुए हैं ।
इस संदर्भ में रावो और भाटों की बही में लिखा हुआ  हैं जो श्री बाण माताजी के पूर्व अवतारों एवम् देचू स्थित मन्दिर के इतिहास को उजागर करता है:

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नख चौबीस साखरों शिशोदिया राणावत कुलदेवी सतयुग री आद आंबे...
कुलदेवी त्रेता जुग री अजेश्वरी राजा अज घर अवतार लियो , जीण सु अजेश्वरी कहलाई...
कुलदेवी कलयुग री बाणेश्वरी बप्पा रावल रे बाण ऊपर आसान राखता , जिणसूं बाणेश्वरी कहलाई...
वर देवी आसावतों री बीस भुजा देचू माते वरदान हुयी...

चबूतरे पर स्थित मन्दिर पूरी खंडहर अवस्था में पड़ा हैं , मन्दिर की देख रेख पहले भोपाजी किया करते थे अब उनकी उम्र हो जाने और शरीर स्वस्थ न रहने के कारण पूजा करने नही आ सकते लेकिन उनके घर से सुबह कोई एक आकर दीआं बाती करके जाता हैं , जब भी कोई श्री बाण माताजी के कुल के भक्त रामदेवरा जाए या देचू से होकर गुजरे तो यहाँ दर्शन जरूर करें । माँ ने तो अपना फर्ज निभाया और अपने कुल का पालन कर रही हैं , लेकिन हमारा कर्तव्य बनता हैं कि इस मन्दिर का पुनर्निर्माण कराए और माताजी सही रूप से फिर से विराजमान करें ।
मन्दिर देचू से रामदेवरा जाते समय बिच रास्ते में आता हैं देचू से 5 किलोमीटर की दुरी पर बिजलीघर बनाया हुआ हैं और एक विशाल पेड़ के निचे यह मन्दिर हैं , मन्दिर की जानकारी हेतु वहाँ बोर्ड भी लगा हुआ हैं ।

आसावत अड़थ्ड्या , कुण ले सार सँभाळ ।
विरद बढ़ाए बीस भुजाळी , चित्तौड़ गढ़ रुखाळ ।।
भैंसा पर बीस भुजाळी बैस , आवो तारण हार ।
तूँ रुठ्या जग रूठे , था शरणा माई संसार ।।
पैलां अम्बा अवतरि , दूजा जग अजेश्वरी ।
बाण पर बेह बप्पा रावल रे , मात कहलाई बाणेश्वरी ।।
आस काई उणरी करूँ , हैं जिणरे दो हाथ ।
मो लिधि शरण जिणरी , वा बीस भुजाळी मात ।।

● @[306557149512777:]
● जल्द ही मन्दिर कब बना और इसके बारें में अन्य जो भी जानकारी होगी आप तक पहुँचा दी जायेगी ।

आपके गाँव में भी मन्दिर हो तो हमे संपर्क करें और बताए और +918107023716 पर पूरी जानकारी फ़ोटो सहित भेज देवे ।
【  @[306557149512777:] 】

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