Saturday, 27 August 2016

मन मायड़ रे ममता भरी.....

मन  मायड़ रे ममता भरी , आँचल में आशीष |
आप समान दूजो नही , चरण नवाऊँ शीश ||
कटक सो संसार हैं , टिके न कठै पाँव |
अपनापन आप बिना , बायण बिन न ठाव ||
भूखा ने भोजन दीयों , निर्धनिया ने धन |
प्रेम पायों सब जुगत रा , अद्भुत थारो मन ||
सब संकट सु टारने , म्हाने लीन्हों पाल |
ऋण थारो चुके किया , सोचे थारो लाल ||
स्वारथ हैं ना कोई , ना कोई हैं व्यापार |
मायड़ वाळो प्रेम हैं , शीतल सुखद बयार ||
बायण ने जो पूजता , हिये उजाळो होय |
महिमा वर्णन कर सके , एसो जन्मियों न कोय ||
अनुराधा गुण गावती , अटूट हैं थासु प्यार |
शरणा नित म्हाने राखजो , एक थारो आधार ||

श्री बाण माताजी सदा प्रसन्न
श्री बायण माता सदा सहाय
श्री ब्राह्मणी माता प्रसन्नोस्तु
श्री बाणेश्वरी दैव्ये: नम:

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