Friday, 26 August 2016

बायण सु बढ़ न कोय

बायण सु बढ़ जाणिये , नही जगत में कोय |
मायड़ री ममता सु , सेवक उऋण न होय ||
बायण बड़ी है मावड़ी , हियो ज्यारों उदार |
जो मायड़ री सेवा करें , होवे उण रों उद्धार ||
बायण गंगा री धार हैं , तन-मन करें पवित्र |
इण सु बढ़ अर कुण हैं , इण दुनिया में इत्र ||
करुणा मयी म्हारी मावड़ी , हृदय ज्यारों मोम |
बाळक दुःखी न देखती , आवे दौड़ी उण भोम ||
दिन दुगणि सेवा करों , राखों माँ रो मान |
प्रसन्न भवानी होवसी , देसु खुशियाँ खाण ||
हर घर हर प्रान्त में , बणिया मन्दिर महान |
भक्तों रा भिड़ा पड़े , धरे डोकरी ध्यान ||
इण सेवा सु सुर हैं तिरिया , गावे नित गुणगाण |
बायण बाणेश्वरी आप हो, आप हिज ब्राह्मणी बाण  ||
बायण बिन दुनिया नही , चरणा चारोंधाम |
' अनु ' भव पार वो भयो , जावत हैं सुरधाम ||

जय श्री बाण माताजी
श्री बायण माता सदा सहाय
श्री ब्रह्माणी माता प्रसन्नोस्तु
श्री बाणेश्वरी देव्यें नम:

👍 @[306557149512777:]

● कृपया कविता में काँट छांट न करें

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