बायण माँ की भक्ति करों , रोज नवाओं शीश |
ख़ुशी होय माँ देवसी , लाखों सुख आशीष ||
धणियाणी चित्तौड़ री , ऊँची ज्यारि शान |
हंस सवारी सोवणि , हाथा धनुष - बाण ||
सुर नर करें सेवना , ध्यावे नित महेश |
ब्रह्मा , विष्णु सेवा खड़ा , पाणी भरे इन्द्रेश ||
ध्यावे जो भी ध्यान सु , सारे उणरा काम |
दीन दुखिया नित आवता , गढ़ चित्तौड़ धाम ||
माँ बायण करती सदा , भव सागर सु पार |
इणरी थे सेवा करों , देसी जीवन तार ||
बायण मोटी मावड़ी , इणसूं बढ़ न कोय |
जो इणरी भक्ति करें , सुख संपति सामी जोय ||
माँ बायण रे आशीष सु , बणिया मोटा महिपाल |
सहाय करण स्वयं आई , इणसो नही प्रतिपाल ||
भू मण्डल पातळ में , चावी चारों ओर |
संकट इण सामी नी टिके , लगाले पुरो जोर ||
माँ बिन नही मैं जीवसु , भुंडा होसी हाल |
सेवा चरणा हित राखजै , कह रह्यो थारो लाल ||
जोधाणा रे मायने , बेठी बायण मात |
खेतलाजी हैं लाडला , रामदे सदा साथ ||
अनुराधा माँ अरज करें , नित गावे गुणगाण |
बायण बायण नित रटे , दूजो आवे न जुबाण ||
श्री बाण माताजी प्रसन्न
श्री बायण माता सदा सहाय
श्री ब्राह्मणी माँ प्रसन्नोस्तु
श्री बाणेश्वरी दैव्ये नम:
👍 @[306557149512777:]
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