वंदन करूँ वरदायिनी , करजे मो कल्याण |
चरणा में सेवा नित करूँ , धरूँ हमेशा ध्यान ||
श्री बायण माताजी रे चरणों री रज , मस्तक पर लगाऊ |
भक्तिं करूँ हमेशा मैया तेरी , सब देवा में तुझे मनाऊँ ||
नमो माता ब्राह्मणी , धराऊँ सोळाह श्रृंगार |
मन मंदिर में आप बसों , उपजे शुद्ध विचार ||
आदि शक्ति की वंदना , करके शीश नवाऊँ |
भक्त भवानी का रिश्ता पुराना , नित उठ गुण गाऊँ ||
क्षमा करो अपराध को , जान मुझे अंजान |
चरणा की रज चाहता हूँ , मैं बालक नादान ||
|| जय श्री बाण माताजी ||
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