Tuesday, 22 November 2016

श्री बायण माताजी की स्तुति ( पार्ट 01 )

श्री बायण माताजी की स्तुति :

विश्व की उतपत्ति करने वाली , महामायारूपिणी शुभस्वरूपा , गुणातीता , सर्वप्राणियों की स्वामिनी तथा चित्तौड़ गढ़ दुर्ग की स्वामिनी हे श्री बायण माता ! आपको मेरा नमस्कार ।
हे बाण माता ! आप ही वेदों की ऋचा हो , आप ही उन ऋचाओं द्वारा संस्तुति की जाने वाली आदिशक्ति हो । आप ही यज्ञ द्वारा हवन की जाने वाली दिव्य सत्ता हो । आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बायणेश्वरी ! आपने ब्रह्मा , विष्णु , शिव , इंद्र , अग्नि , सूर्य आदि लोकपालों की रचना की हैं , इस संसार के सभी स्थावर-जंगम प्राणियों की स्रष्टा आप ही हो । अतः आपसे सर्जित कोई भी देवता आपसे बढ़कर अथवा आपके समान हो ही नही सकता । आप ही ज्येष्ठा-श्रेष्ठा एवं मुख्या हैं। आपको मेरा कोटि-कोटि नमस्कार ।
हे श्री ब्रह्माणी देवी ! जब आपकी इच्छा लीला करने की होती हैं तब आप ब्रह्मा , विष्णु तथा शिवादि को उत्पन्न करके उनके द्वारा अखिल भुवनों का सर्जन , पालन तथा संहार कराती हैं । आपके संकेत से ही यह सारा परिवर्तन होता हैं । आपको इस दास का कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे वरदायिनी माता ! सकल देवों के मध्य एक भी ऐसा देव नही , जो आपकी महिमा को समग्र रूप में जान-समझ सके । वेदवाक्य प्रमाण हैं कि आप ही अकेली इस संसार की सृष्टि , उत्पत्ति तथा संह्यति का मूल हैं-इसमें अविश्वास के लिए अवकाश कहाँ हैं? जननी ! आपको अनुराधा का कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बाणेश्वरी ! आपकी महिमा का वर्णन वेद-शास्त्र कर ही नही पाते । सत्य तो यह हैं कि आप स्वयं भी अपनी महिमा के सम्यक् रूप से परिचित नही । सकल संसार की रचना जिस निरीह भाव से आप करती हैं, उससे मनुष्य सचमुच ही विस्मय व्यथित हो उठता हैं । हे माँ बायण ! आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे माँ बायण ! आप त्रिलोकी के निर्माण में चतुर , दया की सजीव प्रतिमा , सभी विद्याओं की आदि स्त्रोत , लोक का कल्याण करने वाली तथा पापों का नाश करने वाली हो , आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम ।
हे बायण माता ! आप ही सब जीवों का आश्रय हैं और आप ही सब प्राणियों का प्राण , बुद्धि , शोभा , प्रभा , क्षमा , शान्ति , श्रद्धा , विद्या , धृति और स्मृति हैं अर्थात ये सारे गुण आपकी ही विभूति हैं-आपको अनु का कोटि-कोटि प्रणाम ।

जय माँ बायण

☝ चित्तौड़गढ़ री राय , सदा सेवक सहाय ☝
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