Tuesday, 15 November 2016

श्री ब्रह्माणी माताजी मंदिर मेड़ता रोड

श्री ब्रह्माणी माताजी मंदिर फलौदी का इतिहास :

राजस्थान की भूमि प्रारम्भ से ही वीरों , संतों , ऋषियों एवं चमत्कारों की भूमि रही हैं । इसी संदर्भ में नागौर जिले का गाँव मेड़ता रोड ( फलौदी ) भी माँ ब्रह्माणी के प्राचीन मंदिर की वजह से अपना विशिष्ट स्थान रखता हैं ।
राजा नाहड़ राव परिहार द्वारा जिस समय पुष्कर राज में ब्रह्मा मंदिर की स्थापना की उसी समय उन्होंने मारवाड़ में 900 तालाब , बेरा , बावड़ी तथा छोटे-छोटे बहुत सारे मंदिर बनवाए थे । उस समय फलौदी गाँव ( मेड़ता रोड ) में भी ब्रह्माणी माता का एक कच्चा थान ( मंदिर ) बना हुआ मौजूद था । राजा ने उस कच्चे थान को एक छोटा मंदिर का रूप दे दिया , जिसके पास ही एक तालाब व एक बावड़ी भी खुदवाई , जो आज भी मौजूद हैं ।
वि. सं. 1013 में मंदिर बनवाने के पश्चात् शीघ्र ही उस मंदिर में ब्रह्माणी माताजी की प्रतिष्ठा वि. सं. 1013 में कराई , उस वक्त प्रतिष्ठा के लिए रत्नावली ( रुण ) नगरी से भोजक केशवदास जी के पुत्र लंकेसर जी को लेकर यहां आये और मंदिर की प्रतिष्ठा कराई तथा बाल भोग के लिए उस वक्त राजा नाहड़ राव ने 52 हजार बीघा जमीन माताजी के नाम अर्पण की , जिसका संपूर्ण अधिकार लकेसर जी को सौपा ।
जिस वक्त राजा ने मंदिर की प्रतिष्ठा कराई , उसी दौरान एक तोरणद्वार यादगार के रूप में मंदिर के बहार बनवाया , जो कि प्राचीन संस्कृति एवं कलात्मकता का एक अद्भुत नमूना था जो 9 चरणों में बँटा हुआ एक विशाल स्तम्भ दिखाई देता था । जिसकी ऊंचाई उस वक्त 85 फुट थी , बादमे इस तोरणद्वार का उपयोग विशाल द्वीप स्तम्भ के रूप में किया जाने लगा । आस-पास के इलाके के राजा-महाराजा अपने किलों की ऊपर खड़े होकर विशाल दूरबीनों की सहायता से नवरात्रि पर्व के समय माताजी की ज्योति के दर्शन करते थे , जो इस तोरण द्वार के सबसे ऊपरी हिस्से पर दर्शनार्थ हेतुं रखी जाती थी ।
ननवरात्रि पर्व के समय राजा-महाराजाओं द्वारा स्वर्ण एवं रत्न-जड़ित पौशाकें माताजी के श्रृंगार हेतुं भेजी जाती थी , जिससे यहां अत्यधिक मात्रा में धन-संपदा एकत्रित हो चुकी थी । मंदिर की प्रतिष्ठा होने के एक वर्ष बाद वि. सं. 1014 को भोजक केशवदास जी , किरतोजी , बलदेव जी , सुमेरजी आदि ने मिलकर वैशाख सुदी तीज सोमवार को कुलदेवी फलदायनी के नाम से फलौदी नाम का गाँव बसाया जो आज मेड़ता रोड कहलाता हैं ।
वि. सं. 1121 में शुभकरण जी ओसवाल द्वारा माताजी की जमीन पर पाशर्वनाथ जी का मंदिर बनवाया गया , जमीन के लिए पाशर्वनाथ मंदिर की तरफ से माताजी के मंदिर को किराया-भाड़ा दिया जाता था , उस वक्त राजा जीवराज जी परिहार थे । वि. सं. 1200 में श्रीमती ढंढमोत तिलोरा इजाहण साहब का पोता विमलशाह ने ब्रह्माणी माताजी की जमीन पर शांतिनाथ जी का मंदिर बनवाया , जिसकी प्रतिष्ठा करवा कर सेवा के लिए ब्रह्माणी माताजी के ही पुजारियों को नियुक्त किया था ।
वि. सं. 1351 में मुगलकाल में यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध व् सुदृढ़ स्थिति में था । इसी वजह से मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी ने यहाँ आक्रमण करके बहुत लूटपाट की जिसमे वो बहुत सारी रत्न जड़ित माताजी की पौशाकें व् आभूषण ले जाने में सफल रहां , उस समय जैसलमेर की चढ़ाई पर जा रहा था इस आक्रमण के दौरान लूटपाट के विरोध में पुजारी श्री धनजी जाँगला के पुत्र बनराज जी , विष्णु जी तथा दोपा जी लड़ते हुए शहीद हुए ।
वि. सं. 1633 में दिल्ली के बादशाह अकबर की फौज गुजरात पर चढ़ाई करने जा रही थी तो फलौदी ( मेड़ता रोड ) होकर गुजरी । इस फ़ौज का सूबेदार कालेखाँ था , जिसकी नजर दूर से ही मंदिर के पास बने कलात्मक व् ऊँचे भव्य तोरण पर पड़ी जो 85 फुट ऊंचा सीना ताने खड़ा था । कालेखाँ ने सबसे पहले इसे ही नष्ट करना शुरू करवाया । मुगल फ़ौज इसे बड़ी क्रूरता से तोड़ रही थी , इसी दौरान कालेखाँ स्वयं मंदिर के अंदर प्रवेश कर गया तथा मंदिर जिन प्रमुख चार कलात्मक खंभो पर खड़ा था उनको तुड़वाना शुरू किया तीनो खंभे तोड़े जा चुके थे , तब कालेखाँ ने ब्रह्माणी माताजी की मूर्ती तोड़ने की नीयत से गृभगृह में प्रवेश करना चाहा तो उसी दौरान एक बहुत बड़ा चमत्कार हुआ ।
माँ भगवती जगत जननी स्वयं प्रकट होकर क्रोध से दहाड़ उठी और उनहोनर कालेखाँ को जहाँ खड़ा था वही उसके पाँवो को जमीन से चिपका दिया । काले खाँ अपनी पूरी ताकत लगाकर हार गया लेकिन अपने पाँवों को जमीन से नही छुड़ा पाया , तब उसने हारकर माँ ब्रह्माणी के चरणों में अपना शीश झुकाकर क्षमा मांगी और अपने पैर जमीन से छुड़ाने की प्रार्थना की । जगत जननी मैया बड़ी दयावान हैं और ब्रह्माणी माता ने उसे क्षमा कर दिया और कहाँ " अपने मुगल सैनिकों को मार-काट और लूटपाट करने से तुरंत रोक दे । " तब काले खाँ के आदेश से लूटपाट बन्द हुयी तब तक तोरण द्वार का मात्र एक हिस्सा ही बचा रह गया जो आज भी अपनी जगह विद्यमान हैं और इसी तरह मंदिर के अंदर भी एक स्तम्भ ही सुरक्षित रहा , जो आज भी स्थित हैं । इस तरह काले खाँ माँ ब्रह्माणी के क्रोध से मुक्त हुआ और उसने वचन दिया कि आज के बाद किसी भी मुगल शासक को यहां लूटपाट नही करने देगा , इस आक्रमण में 80 आदमी मारे गए थे ।
वि. सं. 2004 ( ई. सन 1947 ) में जब मेड़ता रोड़ से होकर रेल लाइन निकाली गई तो उस जमीन के एवज गे रेलवे द्वारा लाखों रुपये का मुआवजा मंदिर के नाम पास किया , क्योंकि जमीन 52 हजार बीघा थी । जिसमें न केवल रेलवे बल्कि आस-पास के छोटे-मोटे गाँव भी माताजी मंदिर के अधिकार क्षेत्र में आते थे , जिसका मुआवजा आज दिन तक का सरकार में जमा हैं ।

नवरात्रि पर्व की विशेषता :-

संपूर्ण भारत में फलौदी ब्राह्मणी माताजी का मंदिर अपना एक विशेष स्थान रखता हैं , कारण कि नवरात्रि पर्व के दौरान यहां एक अद्भुत एवं चमत्कारिक प्रथा प्रचलित हैं । जिसको स्थानीय भाषा में 'दुआ' शब्द के नाम से जाना जाता हैं जो कि पूरे भारत में होने वाले नवरात्रि पर्वों में सिर्फ यही पर प्रचलित हैं । इस मंदिर में नवरात्रि पर्व का एक विशिष्ट स्थान हैं , वर्ष में दो बार यहां नवरात्रि पर्व चैत्र वदी अमावस से प्रारम्भ होकर सप्तमी तक चलता हैं द्वितीय नवरात्रि पर्व आसोज वदी अमावस से लेकर सप्तमी तक चलता हैं । इस दौरान अमावस से लेकर छठ तक किसी भी प्रकार का भोग व प्रसाद माताजी को नही चढ़ता तथा सप्तमी के दिन ब्रह्माणी माताजी को भोग लगता हैं ।
नवरात्रि पर्व के समय जो भक्तगण ब्रह्माणी माताजी की उपासना एवं भक्ति करने की तमन्ना रखते हैं , उन्हें ब्रह्माणी माताजी की अदृश्य अनुमति से ही गृभगृह में प्रवेश मिलता हैं । गृभगृह में प्रवेश करने के बाद उन भक्तों को 7 दिन तक मात्र चरणामृत के सहारे ही भक्ति करनी पड़ती हैं , इस दौरान इन भक्तों को चरणामृत के अलावा किसी भी पदार्थ का सेवन करने की अनुमति नही  हैं , चाहे वो भक्त 8 का हो या 60 वर्ष का यही अपने आप में ही बहुत बड़ा चमत्कार हैं । पाँचम के दिन इस मंदिर में नवरात्रि पर्व अपने पूर्ण उफान पर होते हैं , इस दिन रात्रि 10 बजे ब्रह्माणी माताजी की आरती में जो दृश्य उत्पन्न होता हैं , उसकी झलक संपूर्ण भारत वर्ष में मात्र यही पर देखने को मिलती हैं ।
उस समय जो भक्त ब्रह्माणी माताजी की भक्ति में पिछले छह दिनों से निरंतर लीन रहते हैं , उन्हें आरती के समय गृभगृह में ब्रह्माणी माताजी की कृपा व आदेश से ही उनमें से किसी एक भक्त की अंतरात्मा से एक व्यक्ति का नाम बड़ी तेज आवाज के साथ उच्चारित होता हैं , जिसका अर्थ यह होता हैं कि ब्रह्माणी माताजी व् उनके भक्त जो पिछले 7 दिनों से मात्र चरणामृत ( जल ) के सहारे रहे हैं अब वो अमुक व्यक्ति के घर का प्रसाद ग्रहण करेंगे और वो व्यक्ति इन भक्तों को आदर सहित अपने घर ले जाकर उनको प्रसाद करवाता हैं और इस कार्य को श्री बाण माताजी की कृपा व आशीर्वाद समझकर अपने आपको भाग्यशाली महसूस करता हैं। इस प्रकार इस दुआ शब्द की प्रक्रिया सम्पन्न की जाती हैं , इस मंदिर में भारत के कोने-कोने से यात्री व् भक्त आते हैं और माँ के दरबार में मन मांगी मुरादे पूरी पाते हैं ।

माँ ब्रह्माणी माताजी का चमत्कार :
श्री फलौदी ब्राह्मणी माताजी की महिमा-न्यारी हैं जैसा कि आप ब्रह्माणी माताजी के चित्र में देख रहे हैं कि पास-पास दो मूर्तियां हैं , एक मूर्ती तो सदियों पुरानी मुख्य मूर्ति हैं जो कभी कही से मामूली खंडित हो गयी थी । वर्षों पूर्व एक भक्त ने हूबहू प्रतिमा बनवाकर मूल प्रतिमा को गृभगृह में रखवा दिया और नई प्रतिमा स्थापित करवा दी , मावड़ी को यह बात रास नही आई , आखिर माताजी ने अपनी एक महिला भक्त श्रीमती शांतिदेवी धर्मपत्नी स्व. शंकरलाल जी ओझा को दर्शन देकर आदेश दिया कि मेरे स्थान पर जाओ , माताजी का आदेश शिरोधार्य कर वह भक्त शान्तिदेवीजी चैत्र मास की सप्तमी ( सन 1981 में ) को अपने पुत्रों को लेकर निम्बाहेड़ा से मेड़ता पहुँच कर जैसे ही माँ ब्रह्माणी के मंदिर परिसर में पहुँची त्यों ही उनके मुख से माँ ब्रह्माणी ने दहाड़ कर कहाँ ' कि मेरी मूर्ती को गृभगृह से निकाल कर मंदिर में पुनः उसी स्थान पर इसी समय स्थापित करों ' माँ का विकराल रूप देख उसी वक्त मंदिर के पुजारी जी को बुलाया गया और मूर्ती उसी वक्त गृभगृह से मुख्य मूर्ती निकाल कर मंदिर में नव स्थापित मूर्ती के पास उसी स्थान पर पुनः स्थापित की तब जाकर माँ ब्रह्माणी शांत हुई ।

ब्राह्मणी माताजी मंदिर मेड़ता रोड़ पहुँचने का मार्ग :
जोधपुर से मेड़ता रोड ( फलौदी ) : 105 कि. मी. रेल द्वारा
बीकानेर से मेड़ता रोड़ : 162 कि. मी.
अजमेर से मेड़ता रोड़ : 95 कि. मी. बस द्वारा

' बाण तूँ ही ब्राह्मणी , बायण सु विख्यात |
सुर सन्त सुमरे सदा , सिसोदिया कुल मात ||

👍 @[306557149512777:]

जय माँ ब्रह्माणी
जय सोनाणा खेतलाजी

4 comments:

  1. Kya aap bata sakte, hum bhal vyas hai to humari kuldevi bramhani mata hi hai.

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  2. जय ब्राह्मणी माताजी की
    pls
    माताजी के दरबार मे जो आरती है उसकी इमेज मुझे 9373666906 इस नंबर पर भेजिएगा

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  3. जय माता दी |अद्भूत है माता जी की महिमा और चमत्कार |माता जी के चरणों मे कोटी कोटी प्रणाम
    🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺

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